ऐसे रखा सांसद डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक ने सत्ता के गलियारों में कदम

0
324

पॉल्टिकल स्टोरी में आज हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के उस नेता की जिसने शिक्षक से लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री तक का सफर तय किया और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रहे…सही समझे आप, हम पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री और हरिद्वार सांसद डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक की ही बात कर रहे हैं…. डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक के पहली बार विधायक बनने और राजनीति में आने के पीछे भी एक रोजक स्टोरी है….अब ये स्टोरी क्या है हम आप को बतातें हैं….बात 1990-91 की है तब रमेश पोखरियाल निशंक पौड़ी में रहा करते थे…पहले वे एक विद्यालय सरस्वती शिशु मंदिर में प्रधानाचार्य थे….साथ ही उनको पत्रकारिता को भी शौक था…पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने पौड़ी में एक दैनिक अखबार शुरू किया जिसका नाम था सीमान्त वार्ता…..पत्रकारिता में ज्याद व्यस्त होने के कारण उन्होंने स्कूल की नौकरी छोड़ दी.. तब अखबार सीमांत वार्ता पौड़ी में ही छपता था….

सीमान्त वार्ता अखबार की प्रिंटिग पौड़ी के लक्ष्मीनारायण मौहल्ले में वकील राजेंद्र प्रसाद पोखरियाल के घर से होती थी… यहीं रमेश पोखरियाल निशंक ने किराये के कमरों में प्रिटिंग मशीन लगा रखी थी…वकील राजेंद्र प्रसाद पोखरियाल की पौड़ी ही नहीं पूरे गढ़वाल में अपनी अलग पहचान थी…तब पूरे गढ़वाल में क्रिमिनल केस लड़ने वाला उनसे बड़ा कोई वकिल नहीं था…अब 1991 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों का बिगुल बजा….तब भारतीय जनता पार्टी को बहुत बड़ी पहचना नहीं मिली थी…तब विधायक के टिकट के लिए लॉबिंग नहीं करनी पड़ती थी…तब आग्रह किया जाता था कि आप हमारी पार्टी से चुनाव लड़ लिजिए…. उस समय पर कर्णप्रयाग सीट से डॉक्टर शिवानंद नौटियाल बड़ा नाम हुआ करते थे… वे दो बार पौड़ी और 6 बार कर्णप्रयाग से लगातार विधायक बने थे… शिवानंद नौटियाल शिक्षा मंत्री भी रहे, यह माना जाता था कि उन्हें हराना असंभव है…. उस समय पर बीजेपी के पास बड़े नामों की कमी थी….. शिवानंद नौटियाल जैसे बड़े नाम के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए बीजेपी ने वकील राजेंद्र प्रसाद पोखरियाल से संपर्क किया…. लेकिन उन्होंने अपनी व्यस्ता का हवाला देते हुए चुनाव ल़ड़ने से मना कर दिया….ऐसे में बीजेपी के पास को चेहरा नहीं था….अंत में एक बार फिर वकील राजेंद्र प्रसाद पोखरियाल से किसी का नाम सुझाने का अनुरोध किया गया और वकील साहब ने एक नाम सामने रख भी दिया. रमेश पोखरियाल निशंक! …. उन्होंने बीजेपी को रमेश पोखरियाल निशंक को प्रत्याशी बनाने के कारण भी गिना दिये….युवा तो हैं ही साथ ही साहित्यकार और पत्रकार हैं यही नहीं ये उसी राठ क्षेत्र से आते हैं जहां के शिवानंद नौटियाल हैं…. फिर बीजेपी को क्या चाहिए था और उन्होंने रमेश पोखरियाल निशंक को अपना प्रत्याशी बना दिया… नाम फाईनल होने के बाद निशंक कहां रूकने वाले थे… उन्होंने एक उद्देश्य बना लिया था कि कर्णप्रयाग का विधायक बनना है…. फिर उन्होंने भी झोला उठाया और चल पड़े कर्णप्रयाग विधानसभा के गांव- गांव, घर- घर में….

उस समय एक तो राम लहर भी चल रही थी… दूसरा कर्णप्रयाग विधासभा के लोगों ने पहली बार ऐसा नेता देखा जो उनके घर तक पहुंच रहा है… ऐसे में पूरा चुनाव रमेश पोखरियाल निशंक के नाम रहा और उन्होंने दिग्गज नेता शिवानंद नौटियाल को हरा दिया, वे चुनाव जीतकर पहली बार उत्तर प्रदेश की विधानसभा में पहुंच गये… वो कहते हैं ना – हुई है वही जो राम रची राखा. पहली बार विधायक बनने के कुछ समय बाद निशंक पर्वतीय विकास मंत्री बने… फिर वे यहां से लगातार जीतते रहे…. उत्तराखंड बनने के बाद वे पहले वित्त मंत्री भी बने, फिर राज्य के मुख्यमंत्री और हरिद्वार सांसद बन कर केंद्रीय शिक्षा मंत्री तक बने… अगले वीडियो मे फिर एक रोचक पोलिटिकल स्टोरी लेकर आपको सुनाने आएँगे. बस आप जाने से पहले सबस्क्राइब करते जाइए देवभूमि न्यूज़ को. और शेयर भी कर दीजिए वीडियो को अपने कुछ चाहने वालों को. बहुत-२ धन्यवाद आपका.