राजनेता और बेरोकटोक चुनावी रैलियां मतलब ‘तीसरी लहर’!

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तीसरी लहर की आहट के बीच राजनीतिक रैलियां बढ़ा रही टेंशन
कोरोना के लिए सुपर स्प्रेडर साबित होंगी राजनीतिक दलों की रैलियां

देहरादून/नई दिल्ली (संवाददाता): देशभर में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच आमजन से लेकर कई खास लोग भी कोरोना की चपेट में आ रहे हैं। केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक कई तरह के प्रतिबंध लगाने के फरमार जरूर जारी कर रही हैं लेकिन जिन राज्यों कुछ दिनों बाद चुनाव होने हैं वहां पर कोरोना के नियमों को सभी पार्टियों के नेता दरकिनार कर कोरोना संक्रमण के लिए सुपर स्पे्रडर साबित हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, गोवा और उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में इन राज्यों में राजनीतिक दलों की रैलियां, जनसभाएं और कार्यक्रम बेरोकटोक जारी हैं। आमजन के लिए तमाम नियम-कानून की बात करने वाले पुलिस प्रशासन के लोग भी इन रैलियों में मूकदर्शक के तौर पर देखे जा सकते हैं।

आज ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, भाजपा नेता मनोज तिवारी भी कोरोना पाॅजीटिव, कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी, पश्चिम बंगाल के राज्यमंत्री के साथ ही मुख्य सचिव समेत कई लोग कोरोना की चपेट में आए हैं। ये लोग रैलियों में शामिल होने के साथ ही विभिन्न राज्यों में चुनाव प्रचार और अन्य बैठकें कर रहे हैं। पीएम मोदी, सीएम योगी से लेकर कई अन्य पार्टियों के नेता उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, गोवा आदि राज्यों में अपनी रैलियों में मशगूल हैं। केंद्रीय चुनाव आयोग ने भी चुनावी जनसभाओं में भीड़ को लेकर अभी तक कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है। चुनावी साल में कोरोना और ओमिक्राॅन के मामले अपने चरम पर हैं। पिछले साल दूसरी लहर भी फरवरी और मार्च में सामने आई थी। ऐसे में यही सिलसिला जारी रहा तो कोरोना की तीसरी लहर के नतीजे खतरनाक हो सकते हैं। तीसरी लहर की आहट के बीच राजनेताओं की बेरोकटोक रैलियां कोरोना के साथ ही ओमिक्राॅन के मामलों को बढ़ाने में साझेदार साबित हो सकता है।

चुनाव को देखते हुए हर पार्टी के नेता अपनी जनसभाएं बेरोकटोक कर रहे हैं। विभिन्न राज्यों में स्वास्थ्य विभाग के अफसर से लेकर हाईकोर्ट तक चुनाव की तिथि को कुछ माह आगे बढ़ाने की बात भी कर रहे हैं। एक ओर जहां देशभर के स्कूल काॅलेजों के लिए नियम कानून बनाने के साथ तमाम तरह के प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर राजनीतिक रैलियों जुट रही भीड़ को लेकर कोई गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। बेरोकटोक राजनीतिक रैलियां कोरोना की रफ्तार बढ़ाने का काम कर रही है।