Pandit Birju Maharaj: नहीं रहे नर्तक सरताज बिरजू महाराज

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दिल्ली ब्यूरो : देश दुनिया में कथक नर्तक के सरताज के रूप में माने जाने वाले पंडित बिरजू महाराज आज हमारे बीच नहीं रहे। पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित बिरजू महाराज का

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83 साल की उम्र में आज दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। बता दें कि उन्होंने दिल्ली स्थित अपने आवास में अंतिम सांसे ली। इसकी सूचना उनके पोते स्वरांश मिश्रा ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दी। वहीं बताया जा रहा है कि उनका अंतिम संस्कार दिल्ली के लोधी रोड स्थित श्मशान गृह में दोपहर करीबन एक बजे किया जाएगा।

लखनऊ घराने से ताल्लुक रखने वाले बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 को हुआ था। इनका असली नाम पंडित बृजमोहन मिश्र था। बिरजू महाराज जिस अस्पताल में पैदा हुए, उस दिन वहां उनके अलावा बाकी सब लड़कियों का जन्म हुआ था, इसी वजह से उनका नाम बृजमोहन रख दिया गया। जो आगे चलकर बिरजू और फिर बिरजू महाराज हो गया। उम्दां कथक नर्तक होने के साथ साथ बिरजू महाराज शास्त्रीय गायक भी थे। उन्‍होंने कथक नृत्य को नई ऊंचाइयां देने का काम किया था। बिरजू महाराज के पिता और गुरु अच्छन महाराज, चाचा शंभु महाराज और लच्छू महाराज भी मशहूर कथक नर्तक थे।

बिरजू महाराज को कई सम्मान मिले जिसमें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और कालिदास सम्मान प्रमुख हैं। 2016 में हिन्दी फ़िल्म बाजीराव मस्तानी में मोहे रंग दो लाल गाने पर नृत्य-निर्देशन के लिए उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। 2002 में उन्हें लता मंगेश्कर पुरस्कार से नवाजा गया। 2012 में विश्वरूपम के लिए सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशन का और 2016 में बाजीराव मस्तानी के लिए सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशन का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। बिरजू महाराज के निधन पर राजनीतिक, फिल्म, उद्योग जगत से जुड़ी हर छोटी बड़ी हस्ती ने दुख प्रकट किया है।

पंडित बिरजू महाराज के यूं इस तरह चले जाने से संगीत जगत के साथ साथ पूरे देश में शोक की लहर दौड़ रही है। कथक सम्राट बिरजू महाराज का निधन संगीत जगत के लिए बड़ी क्षति है।

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