चिट्ठी न कोई संदेश, जाने कहां चले गए राहुल-सोनिया और कांग्रेस…!

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इधर निष्कासन उधर नहीं खुले ‘डोर’, त्रिशंकु हरक की अभी फजीहत होगी और!

पांच दिन से त्रिशंकु बने हैं दल-बदलू पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत

देहरादून, ब्यूरो। उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल ला देने की बात करने वाले हरक सिंह की हालत अभी खुद ही दयनीय बनी हुई है। चार दिन से वह त्रिशंकु की तरह लटके हुए हैं। न तो भाजपा में वापस आ पा रहे हैं और न ही कांग्रेस में ज्वाइन कर रहे हैं। कल बुधवार देर शाम तक उनके कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाएं थीं। वहीं, देर रात कहा गया कि गुरुवार दोपहर बाद उनकी कांग्रेस में ज्वाइनिंग हो जाएगी लेकिन हरक सिंह रावत के मामले में कांग्रेस हाईकमान ने कहीं न कहीं हरीश रावत ‘हरदा’ की बात को तवज्जो देते हुए हरक सिंह को ज्वाइन करवाने की बात को टालने के लिए चुनाव के टिकट बंटवारों को लेकर बिजी होने का बहाना बनाया। हालांकि सरकार भी जानती है कि जनता इस समय हर स्थिति पर नजर बनाए हुए है। ऐसे में हरक सिंह रावत कांग्रेस में शामिल होने के बाद चुनाव मैदान में उतरें या न उतरें यह भी अभी साफ नहीं है। छन-छनकर जो खबरें आ रही है उनके अनुसार कांग्रेस हरक सिंह की बहू को लैंसडौन से चुनाव मैदान में उतार सकती है। वहीं, हो सकता है कि हरक सिंह विधानसभा का चुनाव लड़ें ही नहीं। क्योंकि कई सूत्र बता रहे हैं कि हरक सिंह रावत आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपनी जमीन तैयार कर रहे हैं।

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अब यह कहां तक सच है यह कहा नहीं जा सकता लेकिन हरक सिंह की ज्वानिंग और उसके बाद तक कयासबाजियों का दौर जारी है।दूसरी ओर कांग्रेस के कई नेता और कार्यकर्ता हरक सिंह रावत का खुलकर विरोध कर रहे हैं। वह 2016 के घटनाक्रम की याद दिलाकर हरक सिंह रावत को पार्टी विरोधी और बगावती करार दे रहे हैं। कांग्रेस में शामिल होने के बाद या चुनाव फतह करने के बाद फिर हरक अगर बगावत पर उतर जाएं तो? ऐसे कई सवाल कांग्रेस के नीति-नियंता जरूर उठा रहे हैं। कुल मिलाकर पांच दिन तक एक कद्दावर नेता कहे जाने वाले हरक सिंह रावत की दोनों राष्ट्रीय पार्टियों ने खूब फजीहत फिलहाल कर रखी है। आज शाम तक हो सकता है कोई बड़ा निर्णय सामने आए या फिर कल तक तो फैसला जरूर आएगा क्योंकि नामांकन की तारीख सिर पर है। ऐसे में कांग्रेस जल्द इस मामले में फैसला लेगी।