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ओमिक्राॅन का पता लगाने को नहीं खर्च करने होंगे 5000, 260 में होगा काम; जानें…

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5000 की बजाय 260 में पता चल जाएगा ओमिक्राॅन है कि नहीं, समय की भी होगी बचत

नई दिल्ली ब्यूरो। देश के साथ दुनिया के हर मुल्क में कोरोना के साथ ही एक नए वैरिएंट ओमिक्राॅन की दहशत आजकल चरम पर है। सुना है इसकी फैलने की रफ्तार भी कोरोना से कई गुना ज्यादा है। ईश्वर न करे कि आप कभी इससे सामना करें लेकिन अगर हो गया तो भइया पता कैसे चलेगा कि आप इसके शिकार हो चुके हैं। यह सबसे अहम बात है। बाजार में तरह-तरह के टेस्ट और मेडिकल कंपनियों के बाजार है। जिसमें इसके लिए आपको करीब पांच हजार रुपये का जीनो सिक्वेंसिंग टेस्ट करवाना होगा। अब हम आपको एक काम की बात बता रहे हैं। जिससे करीब 260 रुपये में ही आपका काम बन जाएगा।

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आपको बता दें कि देश में ओमिक्रॉन तेजी से फैल रहा है। ये कोरोना के बाकी वैरिएंट से ज्यादा संक्रामक है। इसकी पहचान जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट से की जा रही है, लेकिन भारत जीनोम सीक्वेंसिंग के मामले में अभी काफी पीछे है। आज हम आपको बताते हैं कि त्ज्-च्ब्त् टेस्ट से भी ओमिक्रॉन का पता लगाया जा सकता है। इसमें जीनोम सीक्वेंसिंग के मुकाबले खर्च भी कम आता है। जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट के लिए जहां 5000 रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं, वहीं आरटीपीसीआर टेस्ट कराने में मात्र 260 रुपए खर्च होते हैं। आज जरूरत की खबर में हम आपको बताएंगे कि आरटीपीसीआर टेस्ट से कैसे होगी ओमिक्रॉन की पहचा? आपको बता दें कि जीनोम सीक्वेंसिंग किसी भी इंसान का पूरा जेनेटिक बायोडेटा होता है। अगर किसी इंसान की जेनेटिक डाइवर्सिटी को समझना हो, तो हमे जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट करना पड़ेगा। इसके बाद हमें किसी भी नई बीमारी या नए वैरिएंट का पता चल जाएगा।

किसी भी वैरिएंट का पता जीनोम सीक्वेंसिंग में आसानी से लग जाता है, लेकिन देश के काफी कम राज्यों में ये टेस्ट किए जा रहे है। इसलिए हर व्यक्ति का जीनोम सीक्वेंसिंग कर पाना संभव नहीं है। ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को सलाह दी है कि वो दो बार त्ज्-च्ब्त् टेस्ट करें और देखें कि सैंपल से एस-जीन गायब है या नहीं। क्योंकि ओमिक्रॉन से एस-जीन गायब हो जाता है जबकि डेल्टा में एस-जीन मौजूद रहता है।

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