भारत-चीन युद्ध के 60 साल बाद फिर बसेंगे नेलांग और जादुंग गांव

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28-29 मार्च को जादुंग और अप्रैल में नेलांग गांव का होगा संयुक्त सर्वे

उत्तरकाशी (विनीत कंसवाल): भारत-चीन सीमा से लगे जादुंग और नेलांग गांवों को दोबारा बसाने के लिए संयुक्त सर्वे किया जाएगा। लंबे समय से भोटिया जाट समुदाय के लोग मांग कर रहे थे। विस्थापित ग्रामीणों की भूमि के चिह्निकरण के साथ व्यावसायिक गतिविधियों की संभावनाएं भी तलाशी जाएंगी। इस सर्वे में विस्थापित ग्रामीणों के साथ सेना, आईटीबीपी और संबंधित विभागीय अधिकारी शामिल होंगे।

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने भारत-चीन युद्ध 1962 के दौरान विस्थापित जादुंग और नेलांग गांव को दोबारा बसाने के लिए बैठक बुलाई।  डीएम ने ग्रामीणों को आवश्यक सहयोग देने का आश्वासन दिया। डीएम ने कहा कि 28-29 मार्च को जादुंग और अप्रैल में नेलांग गांव का संयुक्त सर्वे किया जाएगा। बैठक में सीडीओ गौरव कुमार, गंगोत्री नेशनल पार्क के उप निदेशक रंगनाथ पांडेय, एसपी प्रदीप राय, सेनानी 35वीं वाहिनी अशोक बिष्ट, सेना के मेजर भारत यादव, मेजर हसन खान आदि लोग मौजूद रहेंगे।

nelang jodang

गौरतलब है कि 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान यहां के गांव उजड़ गए थे। इनमें नेलांग और जादुंग गांव भी शामिल हैं। यहां के लोग गांवों में लौटने से उनके परंपरागत व्यवसाय भेड़ पालन में बढ़ोतरी तो होगी ही, क्षेत्र को पर्यटकों के लिए खोल दिए जाने से भी उन्हें लाभ होगा। बता दें कि भारत-चीन-तिब्बत सीमा से लगे नेलांग और जादुंग गांव को सुरक्षा की दृष्टि से सेना ने खाली करा दिया था। इसके बाद यह लोग बगोरी, हर्षिल और डुंडा में बस गए। ग्रामीण ग्रीष्मकाल में इन गांवों में रहते थे और जाड़ों में निचली घाटियों में चले आते थे। युद्ध खत्म होने के बाद भी लोगों को वहां नहीं जाने दिया गया। तब से लगातार ग्रामीण अपने ग्रीष्कालीन प्रवास वाले गांवों में दोबारा बसाने की मांग करते रहे हैं।