नवरात्रि के पहले दिन होगी मां शैलपुत्री की पूजा, ऐसे करें मां को प्रसन्न

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Navratri Puja Vidhi मां शैलपुत्री की पूजा
Navratri Puja Vidhi

Navratri Puja Vidhi: माता शैलपुत्री की पूजा अगर इस विधि विधान से करेंगे तो होंगी सभी इच्छाएं पूर्ण

Navratri Puja Vidhi: शारदीय नवरात्रि की शुरूआत कल यानी की 26 सितंबर से हो रही है और ये दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है। नवरात्रि के पहले दिन विधि विधान से कलश स्थापना की जाती है। इस दिन सम्पूर्ण भारत में माता के मडंप सजाए जाते हैं और इन मंडपों में पहले दिन पार्वती स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, आपको बता दें कि माता शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं।

नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ दुर्गासप्तशती का पाठ (Navratri Puja Vidhi) भी किया जाता है। आपको बता दें कि कलश को गणेश जी का प्रतीक माना जाता है इसी कारण नवरात्रि के पहले दिन सबसे पहले कलश की स्थापना की जाती है ताकी नवरात्रि के अनुष्ठान में किसी भी प्रकार का कोई भी विघ्न न आए।

सबसे पहले करें कलश स्थापना, जानें शुभ मुहर्त

Navratri Puja Vidhi: 26 सितंबर यानि की सोमवार को सूर्योदय होने से करीबन ढाई घंटे पहले कलश स्थापना का शुभ मुहर्त है। इस दिन सूर्योदय उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र और शुक्ल योग में होगा और इसके बाद 7 बजकर 3 मिनट के पश्चात हस्त नक्षत्र शुरू हो जाएगा। कशल स्थापना के लिए ये तीनों ही नक्षत्र काफी अच्छे माने जाते हैं। इसी कराण आप सुबह 6 बजे से लेकर दोपहर बाद तक अपने पूजा (Navratri Puja Vidhi) स्थानों में कलश स्थापित कर सकते हैं।

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Navratri Puja Vidhi: कैसै करें कलश स्थापना?

सबसे पहले आपको मिट्टी का एक पात्र लेना है इस पात्र में आपको मिट्टी डालनी है और इस मिट्टी में जौं के कुछ बीज डाल देने हैं। फिर ऊपर से आपको इस पात्र में भरी मिट्टी में पानी का थोड़ा छिड़काव करना है।

इसके बाद आपको कलश लेना है उसमें मौली बांधनी है और तिलक लगाना है। इस कलश में आपको थोड़ा सा साफ पानी लेना है और इस पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिला देना है। फिर जल में सुपारी डाल लें इसके बाद अक्षत दूर्वा घास और एक सिक्का डाल दें। फिर इस कलश में आम के 5 पत्ते या फिर अशोक के 5 पत्ते रख दें। इन पत्तों को इस प्रकार रखें कि ये आधे कलश के अंदर रहे और आधे कलश के बाहर।      

ये करने के बाद एक पानी वाला नारियल ले लें और इस नारियल के साथ कुछ पैसे लाल कपड़े या फिर लाल चुनरी में लपेट दें और फिर इस नारियल को कलश के ऊपर रख दें। इसके बाद सभी देवी देवताओं का आवाहन कर पूजा शुरू करें।

माता शैलपुत्री की पूजा कैसे करें?

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा षोड्शोपचार विधि (Navratri Puja Vidhi) के साथ की जाती है। इस दौरान इस पूजा को करते समय तीर्थ स्थलों का, नदियों का और दिशाओं का आह्वान किया जाता है। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन सूर्योंदय होने से पहले स्नान करके साफ सुथरे कपड़े पहनकर चौकी को गंगाजल से साफ करलें। इसके बाद माता दुर्गा की प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करलें। ऐसा करने के बाद पूजा (Navratri Puja Vidhi) स्थान पर कलश स्थापित करें और माता शैलपुत्री का ध्यान करते हुए, विधि विधान (Navratri Puja Vidhi) से पूजा करें और माता के व्रत का संकल्प लें।

मां शैलपुत्री
Source: Social Media

अब चौकी पर विराजमान मां दुर्गा की प्रतिमा को रोली-चावल लगाएं और माता शैलपुत्री के पसंदीदा सफेद रंग के पुष्पों को मां को चढ़ाएं। इसके मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। मां के आगे घी या फिर तिल के तेल का दिया जलाएं और धूप जलाएं। इसके बाद माता शैलपुत्री की कथा करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। माता की आरती के दौरान पूजा में कपूर का इस्तेमाल जरूर करें और भोग में सफेद रंग की मिठाई चढ़ाएं।

पूजा करते वक्त माता शैलपुत्री के इन मंत्रों का करें उच्चारण  

वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
पूणेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्॥
पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता॥

प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुंग कुचाम् ।
कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम् ॥

या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।

ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।

माता शैलपुत्री का स्वरूप

पर्वतराज हिमालय की पुत्री मां शैलपुत्री सदैव नंदी बैल पर सवार रहती हैं और हिमालय पर विराजमान रहती हैं। माता शैलपुत्री के एक हाथ में त्रिशुल रहता है तो दूसरे हाथ में कमल का फूल रहता है। माता शैलपुत्री सभी वन्य जीवों की रक्षक के तौर पर भी जानी जाती हैं। जो भी व्यक्ति योग, साधना या फिर तप करने के उदेश्य से पर्वतराज हिमालय जाते हैं वो माता की तपस्या अवश्य करते हैं। आपको बता दें कि माता शैलपुत्री की पूजा (Navratri Puja Vidhi) कुंवारी लड़कियों के लिए अत्यंत लाभकारी होती है। माता की पूजा (Navratri Puja Vidhi) पूरे विधि विधान से करने पर कुंवारी लड़कियों को अच्छा वर मिलता है।

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