कार से ले जा रहे थे 50000 के नकली नोट, गिरोह के दो सदस्य अरेस्ट

बाजार में खपा चुके हैं लाखों के नकली नोट, जांच में जुटी पुलिस
कंप्यूटर और प्रिंटर से घर पर ही छाप रहे थे नकली नोट

रुड़की, ब्यूरो। हरिद्वार जनपद के खानपुर इलाके से चेकिंग के दौरान पुलिस ने नकली नोट छापने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के दो सदस्य अरेस्ट किए हैं। पुलिस के अनुसार इस गिरोह के सदस्य लाखों रुपये के नकली नोट के बाजार में खपा चुके हैं। आज गुरुवार को एसपी देहात प्रमेंद्र डोबाल ने बताया कि खानपुर पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ लोग क्षेत्र में दुकानों पर सामान खरीदने के बहाने से नकली नोट खपा रहे हैैं। पुलिस इस गिरोह के बारे में जानकारी जुटा रही थी। इसी बीच बुधवार देर शाम खानपुर थाना प्रभारी संजीव थपलियाल पुलिस टीम के साथ उप्र के बार्डर पर दल्लावाला गांव के समीप चेकिंग कर रहे थे। पुलिस टीम ने एक क्वीड कार को रोक लिया। तलाशी लेने पर कार से 50 हजार की रकम मिली। सभी नोट सौ-सौ के थे। जांच करने पर पता चला कि सभी नोट नकली हैैं। पुलिस दोनों को थाने ले आई।

पकड़े गए आरोपितों के नाम कुर्बान उर्फ लालू निवासी सलेमपुर, थाना रानीपुर, हरिद्वार और मनोज निवासी झिंझाना, जिला शामली, उत्तर प्रदेश है। पूछताछ मे कुर्बान ने बताया कि वह घर पर ही कंप्यूटर और प्रिंटर से नकली नोट छापता है। अपने साथी मनोज के साथ वह नकली नोट दुकानों पर चलाते हैैं। पुलिस ने कुर्बान के घर से प्रिंटर, पेपर शीट, स्कैनर, पेपर कटर, स्केल बरामद किया है। साथ ही कार को सीज कर दिया। पुलिस यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि इस गिरोह में और कितने लोग शामिल हैैं। एसपी देहात ने बताया कि आरोपित नकली नोटों की खेप उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के अलावा उप्र के बिजनौर, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर आदि जिलों में चलाते थे। पुलिस को आशंका है कि आरोपी लाखों रुपये के नकली नोट बाजार में खपा चुके हैैं। पुलिस इसकी गहनता से जांच कर रही है। नकली नोट पकड़े जाने के बाद आइबी की टीम भी सक्रिय हुई है और आरोपितों से पूछताछ की है। एसपी देहात ने बताया कि उप्र से उत्तराखंड तक संचालित नकली नोट के इस नेटवर्क की जड़ें खंगाली जा रही हैैं। इनके संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों को चिह्नित किया जा रहा है।

एसपी देहात प्रमेंद्र डोबाल ने बताया कि पकड़े गए बदमाशों ने बताया है कि वह नकली नोट परचून, शराब की दुकान और ढाबों पर चलाते थे। इन जगहों पर नोट चलाने से किसी को शक भी नहीं होता था। लेकिन, किसी तरह से पुलिस को इसकी भनक लग गई थी। आरोपी पिछले काफी समय से नकली नोट छाप रहे थे। किसी को शक न हो, इसलिए 100 और 50 के नकली नोट छापते थे। 50 और 100 के नोटों पर कोई अधिक ध्यान नहीं देता था। इसलिए इन्होंने बड़े नोट छापने का जोखिम नहीं उठाया। कुर्बान अपने घर पर नकली नोट छापता था, जबकि इसका साथी मनोज दुकानों पर नकली नोट चलाता था। कुर्बान ने नकली नोट छापना कहां से सीखे, पुलिस इसकी भी जांच कर रही है।