“नोटा” ने कई प्रत्याशियों का बिगाड़ा गणित, जानिए क्या होती है यह प्रक्रिया…

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देहरादून, ब्यूरो। उत्तराखंड सहित पांच राज्यों में अगले माह से लेकर करीब सात चरणों में चुनाव होने हैं। ऐसे में जनता के पास एक महत्वपूर्ण हथियार है जिसे अक्सर लोगों को नहीं बताया जाता है। वह है नोटा। यानि नन आफ एवब-इनमें से कोई नहीं। यह भारतीय संविधान की धारा 49 के तहत देश के नागरिकों को अधिकार है कि वह किसी भी चुनाव में अपने मत का प्रयोग इसके लिए कर सकता है। हालांकि उत्तराखंड में अभी तक ऐसा कोई मामला नहीं आया है जिसमें नोटा के वोट सबसे अधिक हों, लेकिन नोटा ने कई प्रत्याशियों का गणित जरूर बिगाड़ा है। चाहे वह देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश रहा हो, पंजाब रहा या फिर कोई।

चंद दिनों बाद उत्तराखंड में भी चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में पार्टियों की दल बदल से लोगों को यह भी समझ जल्दी से नहीं आ रहा है कि यह किस पार्टी का है या यह निर्दलीय है। ऐसे में लोग अपने प्रत्याशी को भूलकर हो सकता नोटा पर भी अपना मत देकर अच्छी-खासी जीत का दावा करने वाले प्रत्याशियों का गणित बिगाड़ सकते हैं। अगर किसी भी विधानसभा में अन्य मतों की वजाय नोटा का प्रतिशत अधिक होगा तो ऐसे में फिर से चुनाव भी हो सकते हैं और मैदान में उतरे प्रत्याशियों को कभी भी चुनाव लड़ने की इजाजत भी नहीं होगी। ऐसे में अगर आपको भी अपने विधानसभा क्षेत्र में कोई प्रत्याशी पसंद नहीं है या फिर आप किसी को भी अपना मतदान नहीं करना चाहते हैं तो नोटा का विकल्प एकदम खुला है।

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