“अनाथ बच्चों की मां” का हुआ निधन, 1400 बच्चे हुए आज सचमुच अनाथ

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दिल्ली ब्यूरो। अनाथ बच्चों की मां कहे जाने वाली सिंधुताई सपकाल का मंगलवार को निधन हो गया। 73 वर्षीय सिंधुताई सपकाल का निधन एक निजी अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से हुआ। रात करीबन 8 बजे पुणे के गैलेक्सी केयर अस्पताल में उनका निधन हुआ। पिछले वर्ष ही उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। सिंधुताई सपकाल ने अपना पूरा जीवन अनाथ बच्चों की जिंदगी संवारने और उनको एक अच्छी दिशा देने में लगा दिया। वो करीबन 1400 से ज्यादा बच्चों की मां और एक हज़ार से ज्यादा की दादी थीं। समाज को सुधारने की दिशा में सिंधुताई हमेशा तत्पर रहा करती थीं।

गरीबी में पली-बढ़ीं सिंधुताई सपकाल को बाल्यावस्था में भारी कठिनाइयों से झूंझना पड़ा था। उन्होंने अनाथ बच्चों के लिए संस्थानों की स्थापना की, जहां उन्होंने कई बच्चों को गोद लेकर उनका पालन पोषण किया।

उनके निधन पर पूरे भारत में शोक की लहर है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया ‘डॉ सिंधुताई सपकाल का जीवन साहस, समर्पण और सेवा की प्रेरक गाथा था। वह अनाथों, आदिवासियों से प्यार करती थी और उनकी सेवा करती थी। साल 2021 में पद्म श्री से सम्मानित, उन्होंने अविश्वसनीय धैर्य के साथ अपनी कहानी खुद लिखी। उनके परिवार और अनुयायियों के प्रति संवेदन।’

सिंधुताई सपकाल को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मंगलवार को ट्वीट किया, ‘डॉ सिंधुताई सपकाल को समाज के लिए उनकी उत्कृष्ट सेवा के वास्ते सदैव याद किया जाएगा। उनके प्रयासों की वजह से कई बच्चे बेहतर जीवन जी सके हैं।’ उन्होंने कहा, ‘ सिंधुताई सपकाल ने हाशिये पर पड़े समुदायों के बीच भी काफी काम किया। उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। ओम शांति.’

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