Mohali Fair Accident का कौन है असल जिम्मेदार?
National news desk: रविवार यानी की मस्ती का दिन। सोचिए ज़रा आप अपना संडे एंजॉय करने कहीं बाहर गए हों और आपके साथ कोई अनहोनी हो जाए। ऐसा ही कुछ उन 50 लोगों के साथ भी हुआ जो संडे के दिन बाहर मस्ती करने निकले थे, अपने बच्चों को एंजॉय कराने निकले थे। मगर उन्हें क्या मालूम था कि किसी और की गलती के चलते उनकी जान पर बन आएगी।
झूले में कितने लोग थे सवार?
मामला है चंडीगढ़ के मोहाली (Mohali Fair Accident) का जहां एक मेले के दौरान 50 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, मगर कैसे? दरअसल मोहाली के फेज आठ में दशहरा मैदान में एक मेला आयोजित किया गया था, जिसमें कई लोग मौजूद थे। मेले के दौरान 50 लोग ड्राप टावर झूले में बैठे और फिर अचानक से 50 फीट की ऊचांई से झूला धड़ाम से नीचे गिर गया (Mohali Fair Accident) जिसके बाद झूले में बैठे कई लोगों को गंभीर चोटें आई।
Mohali Fair Accident कैसे हुआ?
दरअसल जैसे ही ड्राप टावर झूला (Mohali Fair Accident) नीचे की ओर आ रहा था वैसे ही झूले का हुक तार से निकल गया और फिर झूला झटके से 6 सेकेंड के अंदर नीचे आकर गिर गया। इस दौरान झूले में 50 लोग सवार थे जिनमें कई बच्चे और औरतें भी शामिल थीं। इन सभी लोगों को काफी चोटें आई मगर इनमें से 4 बच्चों और 7 औरतों को गंभीर चोटें आईं हैं जिनका फिलहाल इलाज चल रहा है।
हादसे की खबर मिलते ही प्रशासन में मची अफरा चफरी
हादसे (Mohali Fair Accident) की खबर मिलते ही एसडीएम और डीएसपी घटनास्थल पर पहुंचे और उनके द्वारा कड़ी जांच का आश्वासन दिया गया। वहीं मेले के आयोजक सन्नी सिंह को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है और सन्नी सिंह से पूछताछ फिलहाल जारी है।
क्या झूला का किया गया था निरीक्षण?
इस दिल दहला देने वाले हादसे (Mohali Fair Accident) के बाद अब मेले के आयोजन पर कई सवाल खड़े हो रहें हैं, इसके लिए ली गई अनुमति को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं और इसी के चलते अब पंजाब प्रशासन को जनता कटघरे में खड़ा कर रही है। हादसे के शिकार हुए कई पीड़ित अब प्रशासन पर कई सवाल खड़े कर रहे हैं।
Mohali Fair Accident: क्या कागजों तक सीमित था झूलों का निरीक्षण?
— Devbhoomi News (@devbhoomi_news) September 6, 2022
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घायलों का कहना है कि भले ही मेले के आयोजकों द्वारा अनुमति ली गई हो मगर अधिकारियों द्वारा मेले का शारीरिक सत्यापन किया ही नही गया था और फाइलों के आधार पर ही मेला आयोजित करने की एनओसी जारी कर दी गई थी जिसके कारण से हादसा (Mohali Fair Accident) हुआ। आपको बता दें कि झूलों की एनओसी की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी विभाग की होती है मगर अभी तक ये मालूम नही पड़ा है की किस अधिकारी ने ये एनओसी जारी की थी।
लोगों का प्रशासन पर आरोप
मेले में आए कई लोगों का आरोप है कि मेले के आयोजकों का काम सिर्फ टिकट के पैसे लेने तक ही सीमित था इसके आगे उन्हें लोगों की सुरक्षा से कोई लेना देना नही था। इसके आगे लोगों ने बताया कि जहां ये हादसा हुआ उसके बिलकुल पास ही एक सेल्फी प्वाइंट भी था, जहां एक ही समय पर कई लोग सेल्फी क्लिक करा रहे थे, अगर ड्राप टावर झूला बाहर की ओर गिरता तो कई लोगों की जान जा सकती थी।
मेले में पार्किंग तक की नही थी व्यवस्था
मेले में उचित पार्किंग तक की व्यवस्था नही थी, जिसके कारण जब ये हादसा (Mohali Fair Accident) हुआ तो प्रशासन की गाड़ियों और घायलों के लिए मदद पहुंचाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही दशहरा ग्राउंड तक पहुंने के लिए भी और वहां से वापिस जाने के लिए भी एक ही रस्ता था, जिसके कारण रस्ते पर काफी ट्रैफिक था और लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।
मेला में एक भी डॉक्टर की टीम नही थी मौजूद
इस मेले में रोजाना करीबन तीन से चार हजार लोग आ रहे थे फिर भी लोगों की सुरक्षा हेतू मेला ग्राउंड में किसी भी ड़ॉक्टर की टीम को तैनात नही किया गया था और न ही कोई एंबुलेंस थी। वहीं मेयर अमरजीत सिंह सिद्धू का इस हादसे (Mohali Fair Accident) पर कहना है कि जब प्रशासन द्वारा मेले के आयोजन की एनओसी दे दी गई थी तो स्वास्थ्य विभाग को भी गंभीरता दिखानी चाहिए थी।
अब चाहे प्रशासन के अधिकारी एक दूसरे पर खूब इल्ज़ाम लगाए मगर असल सवाल तो ये है कि आखिरकार कबतक अधिकारियों का तालमटोल करना भारी पड़ेगा लोगों की जिंदगी पर?
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