Living Tree Bridges: पेड़ों की जड़ों से ऐसे बनाया गया है पुल
Living Tree Bridges : देश विदेश में कई ऐसे मजबूत ब्रिजेज़ हैं जो दिखने में लाजवाब है, लेकिन भारत में एक ऐसा ब्रिज है जिसने देश विदेश के इन सभी ब्रिजेज को पीछे छोड़ दिया है। ये पुल लोगों द्वारा बुना हुआ ब्रिज है जो बेहद मजबूत है, इस ब्रिज (Living Tree Bridges) के आगे सभी पुल फीके पड़ गए हैं।
ये अद्भुत ब्रिज मेघालय में स्थित है जिसे खासी और जयंतिया जनजाति के लोगों द्वारा बनाया गया है। ये पुल खास इसलिए है क्योंकि इस पुल को पेड़ की जड़ों से बनाया गया है और इसकी मजबूती कई बड़े बड़े पुलों (Living Tree Bridges) को टक्कर देती है। इंजीनियर द्वारा बनाए गए पुल भी इस पुल के आगे फीके हैं।
मेघालय में मौजूद इस पुल का नाम है लिविंग रूट ब्रिज (Living Tree Bridges), ये ब्रिज 180 सालों से भी ज्यादा पुराना है और इसकी खास बात ये है कि इस ब्रिज को पेड़ों की जिंदा जड़ों से बुना गया है। इतना पुराना ब्रिज होने के बावजूद भी ये ब्रिज आज भी उसी मजबूती के साथ खड़ा है। इस ब्रिज में एक साथ 50 लोग तक चल सकते हैं।
यहां रह रहे खासी और जयंतिया जनजाति के लोगों ने पेड़ों की जड़ों से पुल (Living Tree Bridges) बनाने में महारत हासिल की हुई है। इन लोगों का कहना है कि इस पुल को उनके पूर्वजों द्वारा 180 साल पहले बुना गया था और जैसा ये पुल उस समय था आज भी बिलकुल वैसा ही है। पेड़ की जड़ों से बने ये पुल मेघालय के घनघोर जंगल के बीच में है। इसी जंगल के बीच से गुजरती है एक नदी जिसके ठीक ऊपर है ये लिविंग रूट ब्रिज (Living Tree Bridges).
जिन पेड़ों की जड़ों से इस पुल (Living Tree Bridges) को बुना गया है वो रबर के पेड़ हैं जिनका नाम है फिकस इलास्टिका ट्री। पेड़ की जड़ों से बने इस पुल को एक सही शेप लेने में 12 से 15 साल तक का वक्त लग जाता है और जब एक बार ये पुल सही तरीके से बन जाता है तो ये 500 साल तक उसी मजबूती के साथ खड़े रहता है जैसे कि इसे अभी अभी बनाया गया हो।
दुनिया का सबसे मजबूत ब्रिज है यहां
वहीं इन सभी पुलों (Living Tree Bridges) में सबसे ज्यादा खास और मजबूत पुल है चेरापुंजी का डबल डेकर पुल जिसे एक के ऊपर एक बनाया गया है। इन पुलों को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट का भी दर्जा दिया गया है। इस इलाके में रह रही जनजातियां इसी पुल के माध्यम से एक जगह से दूसरी जगह जाती है, बच्चे इसी पुल (Living Tree Bridges) से अपने स्कूल जाते हैं। इन अनोखे पुलों को देखने के लिए देश के अलग अलग कोनों से यहां लोग आते हैं और प्रकृति के बीच में बने इन पुलों पर चलने का आनंद उठाते हैं।
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