Devbhoomi News

Main Menu

  • अंतर-राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • पॉलिटिक्स
  • क्राइम
  • रंग देवभूमि के
  • जिलेवार खबरें
    • उत्तरकाशी
    • चमोली
      • थराली
    • रुद्रप्रयाग
    • टिहरी गढ़वाल
    • देहरादून
      • ऋषिकेश
    • पौडी गढ़वाल
    • पिथौरागढ़
    • बागेश्वर
    • अल्मोड़ा
    • चंपावत
    • नैनीताल
    • ऊधम सिंह नगर
    • हरिद्वार
      • रुड़की
  • प्रेरक कहानियाँ
  • एंटरटेनमेंट
  • स्पोर्ट्स
  • More…
    • पोलिटिकल स्टोरी
Sign in / Join

Login

Welcome! Login in to your account
Lost your password?

Lost Password

Back to login

Devbhoomi News

Devbhoomi News

  • अंतर-राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • पॉलिटिक्स
  • क्राइम
  • रंग देवभूमि के
  • जिलेवार खबरें
    • उत्तरकाशी
    • चमोली
      • थराली
    • रुद्रप्रयाग
    • टिहरी गढ़वाल
    • देहरादून
      • ऋषिकेश
    • पौडी गढ़वाल
    • पिथौरागढ़
    • बागेश्वर
    • अल्मोड़ा
    • चंपावत
    • नैनीताल
    • ऊधम सिंह नगर
    • हरिद्वार
      • रुड़की
  • प्रेरक कहानियाँ
  • एंटरटेनमेंट
  • स्पोर्ट्स
  • More…
    • पोलिटिकल स्टोरी
धार्मिक कथाएं
Home›धार्मिक कथाएं›जानिए सिर्फ भारत में ब्रह्मा जी का क्यूं है एकमात्र मंदिर

जानिए सिर्फ भारत में ब्रह्मा जी का क्यूं है एकमात्र मंदिर

By Devbhoomi News
August 4, 2022
1
0
Share:

जहां एक और हमारे देश में अलग अलग देवी देवताओं के कई मंदिर स्थित  हैं वहीं ये बड़े आश्चर्य की बात है कि पूरे भारत में ब्रह्राजी का एकमात्र मंदिर स्थित है…

आज हम आपको बताएंगे क्यों ब्रह्राजी के भी अन्य देवी देवताओं की तरह मंदिर नहीं बनाए गए हैं…..एक समय था जब पृथ्वी पर वज्रनाश नामक एक राक्षस ने अपने अत्याचारों से सबको तंग किया हुआ था. उसके बढ़ते अत्याचारों को समाप्त करने ब्रह्माजी ने उसका वध कर दिया. जब ब्रह्माजी ने उसका वध किया, तब कमल के तीन पुष्प पुष्कर के तीन विभिन्न स्थानों पर गिरे और इन स्थानों पर झीलें बन गई. ये स्थान व्याष्ठा, मध्य और कनिष्ठ पुष्कर कहलाते हैं.

वज्रनाश का वध करने के बाद ब्रह्माजी ने पुष्कर में एक यज्ञ का आयोजन किया. इस यज्ञ में उनकी पत्नि का बैठना जरुरी  था. सभी देवी-देवता यज्ञ स्थल पर पहुँच गए, किंतु ब्रह्माजी की पत्नि सावित्री नहीं पहुँची. बहुत देर तक उनकी प्रतीक्षा की गई, किंतु वे नहीं पहुँची. शुभ मुहूर्त निकलता देख ब्रह्माजी ने एक गुर्जर कन्या गायत्री से विवाह कर लिया और वह उनके साथ यज्ञ में बैठी.

इस बीच सावित्री यज्ञ स्थल पर पहुँच गई. वहाँ गायत्री को यज्ञ में ब्रह्माजी के साथ बैठा देख वह क्रोधित हो गई. उन्होंने ब्रह्माजी को श्राप दे दिया कि उनकी कभी पूजा नहीं की जायेगी. भगवान विष्णु ने ब्रह्माजी की सहायता की थी, इसलिये सावित्री के क्रोध से वे भी नहीं बच पाये. उन्हें भी पत्नि-विरह का कष्ट भोगने का श्राप मिला. इसलिए भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम को 14 वर्ष के वनवास के दौरान पत्नि सीता से अलग रहना पड़ा. 

क्रोध के आवेश में सावित्री ने नारदजी को आजीवन कुंवारा रहने का श्राप दिया. ब्रह्माजी और गायत्री का विवाह कराने वाले ब्राह्मण और यज्ञ में लाई गई गायों को भी सावित्री के क्रोध का भागी बनना पड़ा. ब्राह्मण को श्राप मिला कि उसे चाहे कितना भी दान मिल जाये, वह कभी संतुष्ट नहीं होगा. गायों को कलयुग में गंदगी खाने का श्राप मिला. यज्ञ के अग्निकुंड में समाहित अग्निदेव को कलयुग में अपमानित होने का श्राप मिला.

जब सावित्री का क्रोध शांत हुआ, तो सभी देवता उनसे माफी मांगने  लगे और उनसे श्राप वापस लेने का निवेदन करने लगे. किंतु सावित्री नहीं मानी. ब्रह्माजी का श्राप कम करते हुए वे बस इतना बोली कि इस पृथ्वी पर मात्र पुष्कर ही वह स्थान होगा, जहाँ आपकी पूजा होगी.

इसके बाद वे पुष्कर की रत्नागिरी नामक पहाड़ी की चोटी पर जाकर तपस्या में लीन हो गई. आज इसी स्थान पर सावित्री देवी का मंदिर है.  

ब्रह्मा मंदिर भारत के तीर्थराज कहे जाने वाले पुष्कर में स्थित है.

यह मंदिर मुख्य रूप से पत्थर की पटिया और संगमरमर से निर्मित है. मंदिर के प्रवेश द्वार पर हंस बना हुआ है. मंदिर के भीतर ब्रह्मा जी और माता गायत्री की मूर्तियाँ स्थापित है.

ब्रह्मा जी के मंदिर का निर्माण कब हुआ व किसने किया इसका कहीं पर कोई उल्लेख नहीं दिया गया है। लेकिन ऐसा कहते है की आज से तकरीबन एक हजार दो सौ साल पहले अरण्व वंश के एक शासक को एक स्वप्न आया था कि इस जगह पर एक मंदिर है जिसके सही रख रखाव की जरूरत है। तब राजा ने इस मंदिर के पुराने ढांचे को दोबारा जीवित किया। मंदिर के पीछे एक पहाड़ी पर सावित्री का भी मंदिर स्थित है। जहां पहुंचने के लिए कई सैकड़ों सीढ़ियों को पार करना पड़ता है।

Previous Article

ब्रह्मपुरी गांव में देर रात मचा हाहाकार, ...

Next Article

पांडवों ने क्यों खाया अपने ही मृत ...

0
Shares
  • 0
  • +
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

Related articles More from author

  • धार्मिक कथाएं

    देखिए कैसे खाती है लड्डू यहाँ बजरंग बली की मूर्ति।

    April 20, 2022
    By Devbhoomi News
  • धार्मिक कथाएं

    जानिए बच्चे के जन्म पर पूजा क्यों नही करवाते ? क्या है सूतक और पातक

    August 1, 2022
    By Devbhoomi News
  • धार्मिक कथाएं

    जब शिव की कथा सुनकर अमर हो गया कबूतरों का जोड़ा

    April 14, 2022
    By Devbhoomi News
  • धार्मिक कथाएं

    जाने कब है Rakshabandhan 2022 Date, 11 या 12 August और Rakhi 2022 Shubh Muhurat Time

    August 6, 2022
    By Devbhoomi News
  • धार्मिक कथाएं

    क्यों की जाती है माता तुलसी की पूजा

    May 13, 2022
    By Devbhoomi News
  • धार्मिक कथाएं

    इनकी पूजा करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है

    April 14, 2022
    By Devbhoomi News

  • उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022

    इशारों ही इशारों में यशपाल बेनाम ये क्या कह गए सतपाल महाराज को?

  • पिथौरागढ़

    गर्भवतियों का डाटा और इन कार्यों में लेटलतीफी पर बिफरे ये डीएम, कई अफसरों का रोका वेतन

  • उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022देहरादून

    कांग्रेस के इन बड़े नेताओं को मिली 13 जिलों की जिम्मेदारी