Kanika Kaustubh Rane: शहादत के बाद भी क्यों था मेजर की पत्नी के मन में मेजर को लेकर गुस्सा?

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देहरादून ब्यूरो। एक वीर की पत्नी जो उसके फोन के इंतजार में बैठी थी। इस बार उसे अपने पति को कुछ बहुत ही खास बताना था। फोन की घंटी बजती है और वो उत्साह के साथ फोन उठाती है और छूटते ही कहती है मुझे तुम्हें कुछ बताना है। मगर इसके जवाब में एक प्रश्न आता है क्या आप Mrs Kaustubh Rane हैं। ये प्रश्न सुनने के कुछ क्षणों तक उस वीर की पत्नी के मन में कितनी सारी बाते चल रही होंगी, अपने आप से ही वो कितने सवाल कर रही होगी, कहीं न कहीं वो समझ गई होगी अपने पती की शहादत के बारे में मगर शायद अपने दिल और दिमाग को ये समझाने की कोशिश कर रही होगी की जो वो सोच रही है वैसा कुछ नही हुआ होगा। लेकिन आखिरकार ये कड़वा सच तो मानना ही था कि उसके पति युद्ध भूमि में वीरगति को प्राप्त हो चुके हैं।

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आज की कहानी किसी वीर की नहीं बल्की उस वीर की पत्नी की है। जिसके लिए भारत माता का कोई वीर पुत्र शहीद नही हुआ बल्की उसका पति उसे हमेशा हमेशा के लिए छोड़ कर चला गया। वो अपने पति से अब कभी बात नही कर पाएगी न ही उसे वो जरूरी बात बता पाएगी जिसे बताने के लिए वो बहुत ज्यादा उत्सुक थी। ये कहानी है Kanika Kaustubh Rane की।

अपने पति और उनकी शहादत से नाराज Kanika Kaustubh Rane कैसे बनी सेना में एक ऑफिसर। ये आसान न था। Kanika Kaustubh Rane बताती हैं कि जब उनके पति की शहादत की खबर उन्होंने सुनी तो उन्हें कुछ समझ नही आया कि अब क्या। इसके बाद उन्हें बाद में पता चला कि जम्मू-कश्मीर के गुरेज़ सेक्टर में बांदीपोरा में जब आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन चल रहा था तो उस समय कुछ आतंकवादी वहां से भाग रहे थे और ये देख मेजर राणे अपने बंकर से बाहर निकलकर आतंकवादियों को पकड़ने के लिए निकले और इसी दौरान वो वीर गति को प्राप्त हो गए। इस बात का पता लगने के बाद Kanika Kaustubh Rane के अंदर अपने पति के लिए केवल गुस्सा था। उनके मन ये गुस्सा था कि क्यों उन्होंने ये कदम उठाया, क्यों उनके दिमाग में ये कदम उठाने से पहले अपने परिवार अपने बच्चे का चहरा सामने नही आया। ये गुस्सा काफी महीनों तक Kanika Kaustubh Rane के मन में था। दरअसल मेजर राणे एक सच्चे वीर थे जिनके लिए देशप्रेम से बढ़कर कुछ न था। इस समय पर उनका बेटा करीबन डेढ़ साल का था और उसका जन्मदिन आने वाला था जिसके लिए Kanika Kaustubh Rane ने उनसे promise लिया था कि वो इस बार बेटे के जन्म दिन पर जरूर आएंगे क्योंकी मेजर राणे अपने बेटे के पहले भी जन्मदिन पर भी नही आ पाए थे। मगर शहादत से कुछ दिन पहले ही मेजर राणे ने Kanika Kaustubh Rane को ये कहकर मना कर दिया कि अभी तो हमारे बेटे के कितने जन्मदिन आने बाकी हैं वो मना लेगें मगर अभी मेरी यूनिट को मेरी जरूरत है। शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, अफसोस मेजर राणे कभी अपने बेटे का जन्मदिन नही मना पाए।

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Kanika Kaustubh Rane काफी महीनों तक अपने पति के चले जाने के दुख में ही रहीं। लेकिन एक दिन जब उन्होंने अपने मासूम से बच्चे को देखा जिसे इस बारे में कुछ पता ही नही तो उनके मन आया कि कैसे हमारा बेटा स्ट्रांग बनेगा अगर वो अपनी मां को हमेशा दुख में देखेगा, अगर उसके आगे हमेशा एक लाचार औरत खड़ी रहेगी तो क्या सीखेगा वो। जिसके बाद Kanika Kaustubh Rane ने ये फैसला लिया कि उनके बेटे को एक बहादुरी भरी परवरिश देने के लिए सबसे पहले उन्हें बहादुर बनना पड़ेगा अपने पति की तरह। उन्हें समझना होगा क्यों उनके पति ने मेजर राणे बनकर वो फैसला लिया जो कभी भी एक बेटा बाप या फिर एक पति न ले पाता।

मेजर राणे की शहादत के बाद उन्हें सेना द्वारा सेना में नौकरी करने का प्रस्ताव आया लेकिन उन्होंने तुरंत इसका फैसला न लिया क्योंकि उस समय तक तो उनके मन का गुस्सा और दुख खत्म ही न हुआ था। Kanika Kaustubh Rane ने तसल्ली से सोचा और उन्होंने सोच विचार करने के बाद अपने पति के घर की जिम्मेदारी के साथ साथ उनके सपने की जिम्मेदारी भी अपने कंधो पर लेने का फैसला लिया। Kanika Kaustubh Rane ने सेना में ऑफिसर बनने की तैयारी की और रक्षा कर्मियों की युद्ध विधवाओं के लिए विशेष श्रेणी के तहत परीक्षा दी, जिसके बाद उन्होंने ये परीक्षा पार कर ली और उन्हें भेजा गया Officers Training Academy Chennai. अब ट्रेनिंग में जाने से पहले एक मां को अपने बच्चे को छोड़कर जाना था जिसने आज से पहले ऐसा कभी नही किया था। इस समय तक भी उस वीर योद्धा की बीवी एक मां भी थी अबतक वो सेना में भर्ती नही हुई थी जिसमें कठोर ट्रेनिंग दी जाती है। आपको physically strong बनाने के साथ साथ  mentally strong भी बनाया जाता है। अब जैसे तैसे एक मां अपने मन में पत्थर रखकर एक बीवी के तौर पर अपने पति का सपना पूरा करने के लिए निकल पड़ी और बावन 52 हफ्तों की कड़ी ट्रेनिंग के बाद जब उनके कंधों पर वो 2 स्टार लेगे होंगे तो शायद उस समय Lt. Kanika Kaustubh Rane ने अपने साथ अपने पति मेजर राणे को भी महसूस किया होगा, उस समय Lt. Kanika Kaustubh Rane को ये समझ आया होगा कि आखिरकार क्यों उनके पति ने युद्ध मैदान में वो कदम उठाया होगा।

captain kanika kaustubh rane

सेना की ये वर्दी पहनना उतना आसान न है। इसे पहनने के लिए एक कठोर जिगरा चाहिए, देश के लिए बिना एक क्षण गवाएं कुछ कर दिखाने का जज़बा चाहिए जो उस दिन Lt. Kanika Kaustubh Rane ने उस वर्दी को पहनने के बाद महसूस किया। लेकिन ये भी नाकारा नही जा सकता कि हर कोई इतना Strong हो क्योंकि आखिरकार किसी अपने के चले जाने के बाद उसके बिना रहना कितना मुशकिल होता है ये सिर्फ वो इन्सान ही समझ सकता है।