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धार्मिक कथाएं
Home›धार्मिक कथाएं›कुमाऊं की आइरीन पंत कैसे बनीं पाकिस्तान की फर्स्ट लेडी

कुमाऊं की आइरीन पंत कैसे बनीं पाकिस्तान की फर्स्ट लेडी

By Devbhoomi News
August 5, 2022
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उत्तराखंड के सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में जन्मी आयरीन पंत की कहानी शायद ही आप जानते होंगे। कुमाऊं की यह बेटी कब, कैसे पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खां की पत्नी बन गई, यह वाकई काफी दिलचस्प है।
आइरीन पंत का जन्म 1905 में अल्मोड़ा के डेनियल पंत के घर में हुआ था. आइरीन पंत के दादा ने साल 1887 में ईसाई धर्म अपना लिया था. उससे पहले ये परिवार उच्च ब्राहम्ण परिवार था. आइरीन पंत का शुरुआती बचपन अल्मोड़ा में ही गुजरा. जिसके बाद वह लखनऊ चली गईं और लखनऊ के लालबाग स्कूल से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने लखनऊ के मशहूर आईटी कॉलेज से पढ़ाई की.
लखनऊ में जब आयरीन अपनी पढ़ाई कर रही थीं तो बिहार में भीषण बाढ़ आ गई। अन्य जागरूक छात्रों की तरह ही आयरीन भी बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आगे आईं। नाटकों व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिये पैसा इकठ्ठा करने की मुहीम शुरू की गई। यहां से उनके जीवन का एक नया दौर शुरू हुआ।
आयरीन टिकट बेचने के लिए जब लखनऊ विधानसभा पहुंची, तो उनकी मुलाकात लियाकत से हुई। लियाकत टिकट खरीदने के लिए राजी नहीं थे, क्योंकि उनके पास कोई कंपनी नहीं थी। तब आयरीन ने यह कहते हुए उन्हें टिकट खरीदने को कहा कि अगर कार्यक्रम में साथ आने के लिए उनके पास कोई नहीं है, तो वह उनके साथ बैठ जाएंगी। इस मुलाकात ने दोनों की जिंदगी बदल दी।
इसके बाद आयरीन दिल्ली के इन्द्रप्रस्थ कॉलेज में प्रोफेसर बन गयीं और लियाकत उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष बने। आयरीन ने पत्र लिखकर लियाकत को बधाई दी और इसके बदले में लियाकत ने उन्हें जवाब में लिखा कि “मुझे जान कर खुशी हुई कि आप दिल्ली में रह रही हैं क्योंकि ये मेरे पुश्तैनी शहर करनाल के बिल्कुल पास है। जब मैं लखनऊ जाते हुए दिल्ली हो कर गुजरुंगा, तो क्या आप मेरे साथ में चाय पीना पसंद करेंगी?
आयरीन के हामी भरने के बाद मुलाकातों का सिलसिला आगे बढ़ा और शादी तक पहुंच गया। पहले से ही शादीशुदा लियाकत के एक पुत्र विलाकत था। उनकी पहली पत्नी जहांआरा थी, जो कि उनकी चचेरी बहन थी। तमाम विरोधों के बाद 16 अप्रैल 1933 को आयरीन और लियाकत विवाह बंधन में बंध गए। यह शादी दिल्ली के सबसे आलीशान होटल मेंडेस में हुई। जामा मस्जिद के इमाम ने उनका निकाह पढ़वाया था। आयरीन ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया और उनका नया नाम गुल-ए-राना रखा गया।
1947 में विभागजन के बाद गुल-ए-राना लियाकत खां और अपने दो बेटों अशरफ और अकबर के साथ दिल्ली के वेलिंगटन हवाई अड्डे से डकोटा विमान में कराची के लिए रवाना हुईं। आजादी और विभाजन के बाद लियाकत पकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने और राना को पकिस्तान की मादर-ए-वतन का दर्जा मिला।
जिसके बाद जुल्फिकार अली भुट्टो ने उन्हें काबिना मंत्री बनाया और वह सिंध की गर्वनर भी बनीं. साथ ही कराची यूनिवर्सिटी की पहली महिला वाइस चांसलर भी बनी. इसके अलावा वह नीदरलैंड, इटली, ट्यूनिशिया में पाकिस्तान की राजदूत रहीं. 16 अक्टुबर 1951 को रावलपिंडी में एक सभा को संबोधित करने के दौरान लियाकत अली की हत्या कर दी गयी। साल 1990 में आइरीन का निधन हुआ….16 अक्टूबर
.
बता दें कि अल्मोड़ा के मैथोडिस्ट चर्च के ठीक नीचे स्थित आइरीन पंत का पुस्तैनी मकान आज भी उनकी यादों को सहेजे हुए है.

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