हरक सिंह रावत की नाराजगी की कहानी सुबोध उनियाल के जुबानी

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देहरादून। (स्टेट हेड- पंकज गैरोला): कहा जा रहा है कि कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की नाराजगी दूर हो गई हो गई है। लेकिन हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि हरक सिंह कैबिनेट बैठक छोड़कर चले गये और इस्तीफा देने की धमकी दे डाली। लेकिन इस पूरे मामले में उनके साथी मंत्री और शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने पूरा मामला सामने रखा।

मंत्री सुबोध उनियाल ने सधे हुए बयानों में हरक सिंह की नारजगी के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हरक सिंह लंबे समय से अपने क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के लिए प्रयास कर रहे थे। यह उनका अपने क्षेत्र कोटद्वार के साथ कमिटमेंट था। हाल ही में कोटद्वार में हुई विजय संकल्प रैली में भी हरक सिंह ने जनसभा में कहा था कि अगर वे कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज नहीं बना पाये तो वे यहां से चुनाव नहीं लड़ेंगे। साथ ही उन्होंने जनता से यह कहा कि उनसे नाराजगी, वे बीजेपी के दूसरे प्रत्य़ाशी पर न निकालें। सुबोध उनियाल ने कहा कि हरक सिंह मंत्री के साथ एक विधायक हैं तो ये उनकी अपनी क्षेत्र की जनाता के प्रति जवाबदेही है। शुक्रवार कैबनेट बैठक में हरक सिंह की नाराजगी की कहानी बताते हुए उन्होंन कहा कि कैबनेट बैठक हो गई थी। उन्होंने इस विषय पर स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत से चर्चा भी की लेकिन उन्होंने यह कहकर गुस्से में बाहर निकले कि वे एक मंत्री होकर अपने क्षेत्र का एक काम नहीं करा पा रहे हैं, तो बेकार है ऐसे मंत्री होने का। अब बात उठती है हरक सिंह रावत के बीजेपी छोड़ने की तो उस पर भी सुबोध उनियाल ने कहा कि बीजेपी छोड़ने का यहां कोई मामला ही नहीं है, हम सब बीजेपी में ही हैं और ऐसा होता तो मैं बीजेपी मुख्यालय क्यूं आता। अब हरक सिंह की नाराजगी के पीछे दो सवाल उठते हैं, एक तो कि उत्तराखंड में अफसरशाही इतनी हावी हो गई है कि एक मंत्री का काम नहीं हो पा रहा है। दूसरा सवाल की कहीं बीजेपी में कद्दावर नेता हरक सिंह रावत को कमजोर करने की कोशिश की जा रही हो। ये इसलिए कहा जा रहा है कि हरक सिंह रावत इस सरकार में मौका मिलते ही नाराजगी व्यक्त करते रहे हैं।

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