महाभारत के काल से यहां अब तक जल रही धुनी

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सैकड़ों वर्षो से घने जंगलों और पहाड़ियों के बीच बसा सिद्धस्रोत का मंदिर यकीनन यहां आने वाले श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है, हर की पैड़ी से करीब 6 से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिद्धस्रोत का प्राचीन मंदिर अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं. यहां के संतो ने अब तक इस जगह को प्रचार से दूर रखा है,,इसी कारण सिद्ध स्रोत के नाम का कहीं कोई बोर्ड या बैनर नहीं लगाया गया.

यहां स्थानीय ही नहीं बल्कि दूसरे प्रदेशों से भी भक्त आते हैं केवल यही नहीं बल्कि यहां समय समय पर कई विदेशी श्रद्धालु भी आशीर्वाद लेने आते हैं,नील पर्वत की पहाड़ियों के बीच में एक स्रोत के किनारे बने इस प्राचीन मंदिर के अंदर प्राचीन काल के कई ऐसे अवशेष है जिनके बारे में पता लगाना मुश्किल है कि ये कितने प्राचीन है, यदि आप प्रकृति प्रेमी है तो ये जगह आपको बेहद आकर्षक लगेगी ,क्योंकि ऊंची पहाड़ियों और उनसे निकलती जल की धारा यकीनन आपका मन मोह लेगी.

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