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उत्तराखंड में ‘पलायन’ बनी बड़ी समस्या- करीब 1.5 लाख लोग छोड़ चुके हैं गांव

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Uttarakhand Devbhoomi Desk: उत्तराखंड के पर्वतीय राज्यों में पलायन एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। प्रदेश के अलग-अलग जिलों से हजारों और लाखों की संख्या में लोग पलायन (Escape rate in Uttarakhand) कर रहे हैं। ऐसे में अब पलायन की स्थिति और भी चिंताजनक बन गई है। राज्य सरकार की कोई भी योजना काम नहीं आ रही है।

कोरोना वायरस प्रसार की रोकथाम के लिए लगाये गए लॉकडाउन के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से तमाम प्रवासी उत्तराखंड में अपने गांव लौटे। कहा जा रहा था कि अब इनमें से अधिकतर लोग वापस नहीं जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर से लोगो का पलायन शुरू हो गया। अपनी आजीविका के लिए उनके पास फिर से घर छोड़ने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं बचा। ग्रामीण विकास और पलायन रोकथाम आयोग (RDMPC) के उपाध्यक्ष एस एस नेगी ने बताया कि केवल 5-10 प्रतिशत लोग ही गांवों में रह गए हैं।

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Escape rate in Uttarakhand: इन जिलों से हुआ ज्यादा पलायन

RDMPC के उपाध्यक्ष एस एस नेगी ने आगे बताया कि पौड़ी और अल्मोड़ा जिले पलायन की समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के गांवों (Escape rate in Uttarakhand) से कुल 1.18 लाख लोग पलायन कर चुके हैं। ज्यादातर पलायन बेहतर जीवन जीने की आकांक्षाओं के कारण हुआ है।

उत्तराखंड में 9 नवंबर को 22वीं स्थापना दिवस मनाई गई थी। लेकिन अभी भी राज्य पलायन की जटिल समस्या से उभर नहीं पाया। विशेष रूप से पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोग। प्रदेश में कम से कम 1,702 गांव निर्जन हो गए हैं। ऐसे में इन्हें फिर से आबाद करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।

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Escape rate in Uttarakhand: ये हैं कारण

एस एस नेगी के अनुसार खराब शिक्षा सुविधा, खराब स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे, कम कृषि उपज या जंगली जानवरों द्वारा खड़ी फसलों को नष्ट करने के कारण लोग पलायन (Escape rate in Uttarakhand) कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम वर्तमान में हरिद्वार जिले के गांवों का दौरा कर रहे हैं। हमने पाया है कि लोग राज्य से बाहर नहीं, बल्कि जिले के विभिन्न शहरों में पलायन कर रहे हैं। पहले लोग राज्य से बाहर मुंबई और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में पलायन करते थे। 

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