भूस्खलन से हाहाकारः धारचूला में 100 से ज्यादा परिवार बेघर, ध्वस्त हुए 6 घर; कई जद में

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पिथौरागढ़, ब्यूरो। उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। पिथौरागढ़ जिले के धारचूला नगर की एलधारा में बारिश के बाद हुए भूस्खलन के कारण सैकड़ों परिवार अपना घर छोड़कर दूसरी जगह या फिर रिश्तेदारों के यहां रहने को मजबूर हैं। भारी बारिश से जहां सेना का एक बैली ब्रिज भी मलबे में दब गया है वहीं धारचूला-तवाघाट रोड से भारी-भरकम बोल्डर और मलबे से सीमांत धारचूला शहर के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर दिया है। हालात खतरनाक होने पर राहत और बचाव कार्य के लिए सेना मैदान में उतरी है। सेना की कुमाऊं स्काउट ने मोर्चा संभाला हुआ है।

बता दें कि धारचूला नगर के एलधारा के पास एक तरफ सेना दूसरी तरफ एसएसबी के जवान तैनात हैं। एलधारा से लेकर मल्लीबाजार में किसी को प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। सेना के कुमाऊं स्काउट के सीओ कर्नल अजयपाल सिंह ने एसडीएम के साथ राहत शिविरों में जाकर निरीक्षण किया। सीओ ने कहा कि सेना प्रभावितों की हरसम्भव मदद कर रही है। अतिवृष्टि से हुए नुकसान का आंकलन किया जा रहा है। भूस्खलन के बाद से धारचूला नगर में अफरा-तफरी मची है। बोल्डरों से छह मकान ध्वस्त हो चुके हैं। पंद्रह मकान खतरे की जद में हैं। एलधारा के पास हाईवे से मलबा हटाना संभव नहीं हो पा रहा है।

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सेना के जवान शिफ्ट होने वाले परिवारों का सामान शिविरों तक पहुंचा रहे हैं। घरों में बुजुर्ग, दिव्यांग और बीमार लोगों को पीठ पर उठाकर शिविरों तक पहुंचा रहे हैं। खतरे को देखते हुए धारचूला मल्ली बाजार के 54 परिवारों को सुरक्षित स्थान पर रखा गया है। करीब 100 परिवार अभी तक यहां बेघर बताए जा रहे हैं, जिन्होंने अपने मकान छोड़कर कहीं दूसरी जगह शरण ले रखी है। मौसम विभाग के अलर्ट ने यहां के लोगों की चिंता और बढ़ा दी है। रात में अगर बारिश के बाद फिर से ऐसे ही भूस्खलन हुआ तो कई और मकान जमींदोज हो सकते हैं। वहीं, स्थानीय लोगों में शासन-प्रशासन, सिंचाई विभाग, बीआरओ और हिलवेज कंपनी के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश व्याप्त है। जनता ने शासन-प्रशासन का प्रदर्शन कर पुतला भी जलाया है।

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