बहुमत में न आई तो कांग्रेस ‘प्लान बी’ पर कर रही काम, ये बन रही रणनीति…

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देहरादून, ब्यूरो। उत्तराखंड के नेता चुनाव के बाद तमाम बयान देकर चर्चाओं में बने हुए हैं। भाजपा हो या कांग्रेस हर पार्टी बहुमत में आने का दावा कर रही है। कांग्रेस के पूर्व सीएम हरीश रावत पिछले दिनों फुल काॅन्फीडेंस में यह तक कह चुके हैं कि हरीश रावत या तो मुख्यमंत्री बनेगा या फिर घर बैठेगा। इसके कुछ दिन बाद उनके बयान बदलते गए। अब वही हरीश रावत अपनी हालत पतली होती देख प्लान बी पर भी काम कर रहे हैं। प्लान बी यह है कि अगर कांग्रेस बहुमत में न आई तो वह जीतने वाले निर्दलीय और अन्य दलों के प्रत्याशियों को अपने समर्थन में लेकर सरकार बनाएगी। हरीश रावत की ओर से जारी एक बयान के अनुसार वैसे तो कांग्रेस बहुमत में आकर सरकार बना रही है, लेकिन फिर भी अगर स्थिति न बनी तो वह निर्दलीयों से भी बात कर रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा के नेता भी पूर्ण बहुमत के साथ फिर से राज्य में पार्टी की सरकार बनने के दावे कर रहे हैं। अब देखना होगा कि 10 मार्च को किस पार्टी की सरकार बनती है। भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में आपसी कलह भी देखने को मिल रहा है। कोई नेता टिकट न मिलने से नाराज होकर दूसरी पार्टी को ज्वाइन कर चुका है तो कोई निष्क्रिय या फिर भितरघात कर रहा है।

आपको बता दें कि 10 मार्च को उत्तराखंड राज्य की पांचवीं विधानसभा गठन की शुरूआत हो जाएगी। इसी दिन उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के मतों की गणना होगी। इसके बाद जो भी दल बहुमत में होगा वह राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का प्रस्ताव पेश करेगा। मतगणना को अभी 17 दिन बाकी हैं। वोटिंग के अगले ही दिन से तमाम उत्तराखंड के नेता जीत का दावा करते देखे गए थे। अपनी सरकार बनाने के लिए और शायद मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलने के लिए पूर्व सीएम हरीश रावत तो पुछेरे के द्वार तक पहुंच गए थे। इसके बाद उनका यह बयान चर्चाओं में रहा कि वह या तो मुख्यमंत्री बनेंगे या घर बैठेंगे। परिणाम आने से पहले ही इस तरह की बयानबाजी के कारण कांग्रेस में चल रहा कलह और अधिक अंदर ही अंदर बढ़ता जा रहा है। अब देखना होगा कि हरीश रावत पहले लालकुआं से कितने अंतर से जीतते हैं। अगर हार गए और कांग्रेस बहुमत में आ गई तो यह भी अचम्भा होगा। ऐसे में हरीश रावत कई नेताओं के निशाने पर भी हैं। कांग्रेस के तमाम नेता हरीश रावत की परिवारवाद और एकलो चलो की नीति से छिन्न-भिन्न हो रहे हैं।

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दूसरी ओर राज्य में अगर दोनों ही राष्ट्रीय दल बहुमत में न आ पाए तो निर्दलीय और अन्य दलों से जीतकर आने वाले प्रत्याशियों की पौ-बारह होगी। 2012 की तरह सभी ऐसे जीतने वाले प्रत्याशियों को मंत्री पद मिलना तय है। देखा जाए तो दोनों ही पार्टी के नेता अपनी-अपनी जीत का दावा इसलिए भी करते रहे हैं, क्योंकि यूपी में तीसरे चरण के चुनाव हो रहे हैं। ऐसे में अपनी-अपनी जीत का दावा कर लोगों को अपने पक्ष में करने के लिए भी नेता बयान जारी कर रहे हैं।