‘ऋतु’ परिवर्तन की ओर तो नहीं उत्तराखंड या निशंक को मिलेगी कमान?

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गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर हुआ मंथन, अब पूर्व सीएम निशंक के आवास पर पहुंचे सभी नेता
अपनी-अपनी लाॅबिंग में जुटे उत्तराखंड भाजपा के सभी नेता

देहरादून, ब्यूरो। उत्तराखंड में नया मुख्यमंत्री कौन होगा यह सस्पेंस अभी बरकरार है। हर दिन एक नया नाम सामने आ रहा है। दस दिन में दस नाम सामने आ चुके हैं। ऐसे में फिलहाल यह कह पाना मुश्किल है लेकिन, खबरों की मानें तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के घर पर उत्तराखंड सीएम के सीएम को लेकर बैठक खत्म हो गई है। अब सभी भाजपा नेता पूर्व सीएम निशंक के आवास पर एकत्रित हो गए हैं। कुछ लोग जहां कार्यवाहक सीएम धामी को ही रेस में सबसे आगे बता रहे हैं, वहीं कुछ ऋतु खंडूड़ी का नाम भी आगे बता रहे हैं। जबकि इन दोनों में लाॅबिंग और सरकार चलाने में माहिर रहे पूर्व सीएम निशंक भी पीछे नहीं हैं। सांसदों से लेकर तमाम मंत्री और भाजपा नेता अपनी-अपनी दावेदारी की बात कर रहे हैं।

उत्तराखंड में भाजपा के अब तक के मुख्यमंत्रियों की बात की जाए तो शुरूआत से ही परिवर्तन और आपसी गुटबाजी के कारण किसी भी सीएम को पांच साल का सफर पूरा नहीं करने दिया गया। देखा जाए तो उत्तराखंड भाजपा की त्रिमूर्ति में से एक भुवन चंद्र खंडूड़ी स्वयं तो राजनीति से दूर हैं लेकिन कहीं न कहीं वह अपनी बेटी ऋतु खंडूड़ी को आगे किए हुए हैं। ऋतु खंडूड़ी पहले यमकेश्वर और अब कोटद्वार से चुनाव जीतकर आई हैं। दूसरी ओर वर्तमान सीएम पुष्कर सिंह धामी को लेकर आपसी खींचतान भाजपा के ही क्षत्रपों में बताई जा रही है। उनका बैकफुट पर होना सिर्फ चुनाव हारना ही बताया जा रहा है। देखा जाए तो पुष्कर सिंह धामी और इससे पहले सीएम रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत कहीं न कहीं एक ही गुट के बताए जाते हैं।

ramesh pokhriyal nishank

जबकि इन दोनों मुखियाओं के बीच गद्दी पर कुछ दिन बैठे तीरथ सिंह रावत बीसी खंडूड़ी के खासमखास थे। ऐसे में निशंक-कोश्यिारी और खंडूड़ी में से हाईकमान किसे तवज्जो देते हैं यह देखना होगा। वहीं, अगर ऋतु खंडूड़ी को सीएम बनाया गया तो वह राज्य की पहली महिला मुखिया होगी। वहीं, भाजपा के स्थानीय नेताओं के अनुसार अगर ऋतु को सीएम बना भी दिया गया तो वह ज्यादा दिन तक गद्दी नहीं संभाल पाएंगी। उत्तराखंड में अब किस भाजपा नेता की किस्मत चमकेगी यह देखना होगा। भाजपा हाईकमान ने भी अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं। विधायक बहुमत से अधिक होने के कारण राजनीति का और को जोड़-तोड़ नहीं होना है। फिलहाल भाजपा के क्षत्रप ही आपस में मुखिया की कुर्सी के लिए लाॅबिंग में व्यस्त हैं। वहीं, दूसरा पहलू यह भी है कि पूर्व सीएम निशंक भी पहले से ही सुलझे और अनुभवी राजनेता बताए जाते हैं। ऐसे में कौन भाजपा हाईकमान को हाईजैक कर स्थितियां अपनी ओर मोड़ेगा यह देखना होगा। कार्यवाहक सीएम से लेकर पूर्व सीएम और तमाम अन्य भाजपा नेता लगातार अपनी-अपनी दावेदारी अलग-अलग माध्यमों से हाईकमान के समक्ष रख रहे हैं।