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SC से गैंगरेप के बाद चेहरा एसिड से जलाने वाले बरी, मैं हार गई हूं…ये शब्द है फूट-फूट कर रोती एक मां के

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 SC से गैंगरेप के बाद चेहरा एसिड से जलाने वाले बरी 

Chhawla gang rape case: ‘हमें उम्मीद थी कि न्याय मिलेगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने हमें तोड़ दिया है। मैं हार गई हूं…ये शब्द सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर फूट-फूट कर रोती हुई उस मां के हैं, जिसने अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए 10 साल तक छोटी से बड़ी अदालतों के चक्कर काटे। हाईकोर्ट ने गैंगरेप (Chhawla gang rape case) से जुड़े इस केस के तीनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसले को बदलते हुए सोमवार को तीनों आरोपियों को बरी कर दिया.

इसी साल अगस्त में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी फांसी की सजा को बरकरार रखा था। अपने नजरों के सामने सुप्रीम कोर्ट से तीनों आरोपियों को बरी होते देख एक हारी हुई मां ठीक से रो भी नहीं पा रही थी।

Chhawla gang rape case

आप को बता दे कि दिल्ली के छावला इलाके (Chhawla gang rape case) में 2012 में उत्तराखंड के पौड़ी निवासी 19 वर्षीय सपना (बदला हुआ नाम) का अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में मौत की सजा पाए हुए तीनों आरोपियों को बरी कर दिया।

 

Chhawla gang rape case: SC से तीनों आरोपी रिहा

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इन 3 आरोपियों को बरी कर दिया। 19 साल की सपना (बदला हुआ नाम) को 2012 में दिल्ली के छावला से किडनैप किया गया था। इसके बाद उसे हरियाणा के रेवाड़ी ले जाकर 3 दिन तक गैंगरेप किया गया। आरोपी इतने पर भी न माने और सपना का चेहरा एसिड से जला दिया, उसके बदन को गर्म लोहे से दागा गया। पुलिस को जब शव बरामद हुआ तो प्राइवेट पार्ट से एक शराब की बोतल भी मिली थी।

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तीनों दरिंदों ने सपना (बदला हुआ नाम) के जिस्म को नोंचने में कोई कसर नहीं छोड़ी. सुप्रीम कोर्ट ने गैंगरेप और हत्या (Chhawla gang rape case) के इस मामले में तीनों दोषियों को अब बरी कर दिया. फूट-फूट कर रोते हुए पीड़िता की मां ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अपनी हार बताया.

Chhawla gang rape case : काम से लौटते वक्त किया गया अगवा

सपना (बदला हुआ नाम) के साथ जब ये हैवानियत हुई थी, तब उसकी उम्र 19 साल थी। कम उम्र के बावजूद वह जानती थी कि घर की पूरी जिम्मेदारी उसे ही उठानी है। वो नौकरी कर परिवार का खर्च उठा रही थी। नौ फरवरी 2012 को सपना (बदला हुआ नाम) काम से घर लौट रही थी तभी तीन लोगों ने उसको अगवा कर लिया गया था। तीन दिन तक उस के साथ गैंगरेप किया और उस के बाद सपना (बदला हुआ नाम) कि हत्या कर दी गई। उनका परिवार दिल्ली में एक छोटे से किराये के कमरे में रहता है। पिता सिक्योरिटी गार्ड काम करते हैं और अपनी बेटी की मौत के बाद रिटायर हो जाने की उम्र में भी परिवार चलाने के लिए नौकरी कर रहे हैं।

Chhawla gang rape case: मामला उठाने वालीं एक्टिविस्ट ने क्या कहा

इस मामले को उठाने वाली एंटी रेप एक्टिविस्ट योगिता कहती हैं- हमने सोचा भी नहीं था कि सुप्रीम कोर्ट ऐसा फैसला करेगी। हम ज्यादा से ज्यादा ये सोच रहे थे कि हो सकता है, फांसी की सजा को कोर्ट उम्रकैद में बदल सकती है। हालांकि, हम उसके लिए भी तैयार नहीं थे। हम ये मानते हैं कि ऐसे दरिंदों को फांसी ही होनी चाहिए। जब ये पता चला उन्हें बरी कर दिया गया है तो हमें विश्वास ही नहीं हुआ।

पुलिस की लापरवाही

पीड़ित परिवार वालो ने जब पुलिस को सारी घटना के बारे में बताया. तो परिवार के लोग उस वक्त हैरान रह गए, जब दिल्ली पुलिस ने उनसे कहा कि बदमाशों को ढूंढ़ने के लिए उनके पास गाड़ी ही उपलब्ध नहीं है. इसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की. पता चला कि आरोपी हरियाणा के रहने वाले हैं. तीनों ही कार ड्राइवर थे. पुलिस ने उनकी मोबाइल फोन लोकेशन और कार की पहचान करके तीनों को बारी-बारी कर दबोचा था.

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