Home धार्मिक कथाएं आज भी यहां सुरक्षित है समुद्र मंथन से निकला अमृत

आज भी यहां सुरक्षित है समुद्र मंथन से निकला अमृत

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Candi Sukuh: क्यों इस अमृत को देखने के बाद भी कोई आजतक नहीं निकाल पाया इसे?

Candi Sukuh: हम सभी ने बचपन से समुद्र मंथन की कई कहानियां सुनी हैं, इस दौरान देवताओं और राक्षसों के युद्ध के बारे में सुना है और समुद्र मंथन से निकले अमृत के बारे में सुना है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि समुद्र मंथन से निकला अमृत जिस कलश में था वो आज भी सुरक्षित रखा गया है और हैरानी की बात तो ये है कि इस कलश में आजतक अमृत मौजूद है जिसे आज तक इससे कोई नहीं निकाल पाया है।

दरअसल समुद्र मंथन से निकला अमृत जिस कलश में मौजूद था वो भारत में नहीं बल्की एक मुस्लिम देश में मौजूद है। ये कलश आज भी इंडोनेशिया के एक मंदिर (Candi Sukuh) में मौजूद है जिसका नाम है ‘कंडी सुकुह’ (Candi Sukuh). इस मंदिर में एक कलश मौजूद है जिसमें कई हजारों सालों से एक द्रव्य मौजूद है।

इस द्रव्य को लेकर ऐसी मान्यता है कि ये समुद्र मंथन से निकला हुआ अमृत है जो आजतक सूखा ही नहीं है। दरअसल ये कलश इंडोनेशिया के इस मंदिर (Candi Sukuh) की नींव के नीचे डबा मिला था। 2016 में इंडोनेशिया के पुरातत्व विभाग द्वारा जब इस मंदिर (Candi Sukuh) की मरम्मत कराई जा रही थी तो उसी वक्त विशेषज्ञों को इस मंदिर की नींव के नीचे एक कलश मिला।

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जब इस कलश को पूरा बाहर निकाला गया तो इसके ठीक ऊपर एक पारदर्शी शिवलिंग दिखाई दिया वहीं इस कलश के अंदर द्रव्य भरा हुआ दिखाई दिया। फिर जब इस कलश पर शोध किया गया तो ये सामने आया कि इस कलश को इस प्रकार जोड़ा गया है कि इसे कोई भी खोल न सके।

अब आते हैं इस पर कि आखिर क्यों ऐसा कहा जा रहा है कि ये कलश समुद्र मंथन से निकला अमृत कलश है। दरअसल मंदिर (Candi Sukuh) की जिस दीवार की नींव से इस कलश को निकाला गया था उस पर समुद्र मंथन की चित्रकारी बनी हुई थी। इसके साथ ही इस दीवार पर महाभारत के आदिपर्व का वर्णन भी किया गया था।

इस कलश पर शोध करने पर ये सामने आया कि ये तांबे का कलश 1000 ईसा. पूर्व के समय का है, वहीं इस मंदिर (Candi Sukuh) का निर्माण 1437 ईसा. पूर्व के आसपास कराया गया था। इस समय पर इंडोनेशिया एक हिंदू राष्ट्र हुआ करता था लेकिन फिर 15वीं सदी में इंडोनेशिया पर इस्लाम ने राज किया और इसी दौरान इस मंदिर (Candi Sukuh) को भी ध्वस्त कर दिया गया।

ऐसा माना जाता है कि जब इस मंदिर (Candi Sukuh) को ध्वस्त किया जा रहा था तो उस समय इस मंदिर (Candi Sukuh) की दीवार की नींव के नीचे इस अमृत के कलश को छिपाया गया होगा और तब से ये यहीं पर सुरक्षित था।  

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