अस्मत जनजाति के लोग दुश्मन को मारकर क्यों खाते हैं उनकी खोपड़ी में खाना?

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अस्मत जनजाति के लोग क्यों दुश्मन को मारकर खाते हैं उनका मांस?

देहरादून ब्यूरो। एक ऐसी जनजाती जो अपने दुश्मन को मारकर उसके मांस को पका कर खा जाते हैं, हड्डियों के गहने बनाकर उन्हें पहनते हैं, खोपड़ी को तकिए की तरह इस्तेमाल करते हैं और कभी कभी तो मृत व्यक्ति की खोपड़ी फोड़कर उसे बर्तन की तरह भी इस्तेमाल कर लेते हैं। ऐसा तो ये दुश्मन के साथ करते हैं मगर जब इनकी जनजाती में भी अगर किसी की मौत हो जाती है तो ये मृत व्यक्ति को तक नही बख्शते हैं और शव के साथ बहुत  बुरा करते हैं। ये जनजाती मृत व्यक्ति का गला काट देते हैं और उसकी आखें और मस्तिष्क बाहर निकाल देते हैं।

दुश्मन को डराने के लिए अस्मत जनजाति के लोग करती है उसके साथ ये काम

अस्मत जनजाती के लोग क्यों होते हैं इतने खतरनाक

ये खूंखार जनजाती ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के न्यू गिनी में पाई जाती है जिसे अस्मत जनजाति के नाम से जाना जाता है। ये जनजाति इतनी खतरनाक है कि ये अपने दुश्मन को मारकर उसके मांस को ही खा जाते हैं और जब ये जनजाति अपने दुश्मन के मांस को पकाते हैं तो उस दौरान अस्मत जनजाति के सभी लोग जश्न मताने हैं, नाचते गाते हैं। इसके बाद अस्मत जनजाति के लोग दुश्मन की खोपड़ी के मांस को भी खा जाते हैं और फिर खोपड़ी को बच्चों के पैरों के बीच में रखते हैं ताकी दुश्मन की सभी शक्तियां उनके बच्चों के अंदर आ जाए।

skull, अस्मत जनजाती दुश्मन की खोपड़ी का क्या करते हैं

इसके बाद कभी तो अस्मत जनजती के लोग दुश्मन की खोपड़ी को तकिए की तरह इस्तेमाल करते हैं तो कभी खोपड़ी को फोड़कर उसमें खाना खाते हैं। मगर सवाल ये है कि क्यों अस्मत जनजाति के लोग ऐसा करते हैं। दरअसल अस्मत जनजाति के लोगों का मानना है कि किसी भी इंसान के शरीर में सबसे ज्यादा पवित्र उसका सिर होता है। इसी कारण ये दुश्मन की खोपड़ी को हमेशा अपने साथ रखते हैं। घर में खोपड़ी को सजाए रखने के पीछे एक वजह ये भी है कि अस्मत जनजाति अपने दुश्मन के मन में अपने लिए खौफ बरकरार रख सके।

अस्मत जनजाति के लोग दुश्मन की हड्डियों से करते हैं अनुष्ठान

अस्मत जनजाती के लोग

इसके बाद दुश्मन की बाकी हड्डियों को गहनों के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है और कभी कभी भविष्य में किए जाने वाले अनुष्ठानु में भी इस्तेमाल किया जाता है। वहीं ये लोग दुश्मन की रीढ़ की हड्डी को और उसके निचले भाग को भी अपने घरों में ट्रॉफी की तरह सजा कर रखते हैं।  

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अस्मत जनजाति के लोग क्यों खुद के लोगों का मरने के बाद काटते हैं गला?

वहीं सबसे हैरान कर देने वाली बात तो ये है कि ये दुश्मन के साथ तो ऐसा करते ही हैं साथ ही साथ अपनी जनजाति के लोगों के साथ भी ज्यादा कुछ अच्छा नही करते। जब अस्मत जनजाति के किसी इंसान की मृत्यु हो जाती है तो ये उस मृत व्यक्ति का गला काट देते हैं और साथ ही साथ शव की आखें और मस्तिष्क भी बाहर निकाल देते हैं। ऐसा करने के पीछे उनकी एक मान्यता है, वो ये है कि ऐसा करने से वो बुरी आत्मा को अपने आसपास आने से रोक सकते हैं।

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दरअसल अस्तम जनजाति के लोग आदिवासी होते हैं जो अपनी वीरता का परिचय देने के लिए और आदिवासी परंपरा को बरकरार रखने के लिए इस तरह के काम करते हैं। वहीं आदिवासियों द्वारा अपना जीवन इस तरह व्यतीत करने पर सरकार भी इनकी जिंदगी में किसी भी प्रकार का कोई दखल नही करती है। ये जनजातियां कई सालों से इसी तरह अपना जीवन यापन कर रही हैं, जिन जंगलों में वो रह रहे हैं वो ही उनका घर है और इन जंगलों में सरकार भी कभी अपना अधिकार नही जाताती है।    

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