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एक ऐसे वकील जो कोर्ट में खड़े होकर संस्कृत में करते हैं बहस

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Acharya Shyam Upadhyay ने क्यों करना शुरु किया संस्कृत में वकालत?

Acharya Shyam Upadhyay: दुनिया भर में एक से एक वकील है, कोई अपनी ताकत के लिए जाना जाता है, कोई तजुर्बे के लिए जाना जाता है तो कोई अपने शातिर दिमाग के लिए जाना जाता है, लेकिन इन सभी प्रकार के वकीलों के बीच एक वकील बिलकुल अलग है। ये वकील (Acharya Shyam Upadhyay) जज के आगे अपना मुकदमा लड़ता भी संस्कृत में है और सभी कागजात भी संस्कृत में ही पेश करता है।

भाषा एक जरिया है जिससे हम अपनी बात दूसरे व्यक्ति के आगे रख सकते हैं। पूरी दुनिया की भाषाओं की बात करें तो ये आंकड़ा करीबन 6900 का है। इन्हीं भाषाओं में से एक भाषा संस्कृत भाषा भी है जो दुनिया की सबसे पुरानी भाषा मानी जाती है।

संस्कृत भाषा को देववाणी भी कहा जाता है, भारत में कई वर्षों पहले संस्कृत भाषा का प्रयोग किया जाता था लेकिन समय के साथ साथ संस्कृत भाषा कहीं विलुप्त होती चली गई। अब इसका इस्तेमाल या तो कोई संत महात्मा करते हैं या फिर पुजारी, कोई भी आम व्यक्ति संस्कृत भाषा में बात करना तो दूर की बात, इसे समझ तक नहीं पाता है।

अब धीरे धीरे विलुप्त होती जा रही संस्कृत भाषा को पुनः आमजन मानस के बीच जीवित करने का जिम्मा एक वकील (Acharya Shyam Upadhyay) द्वारा उठाया गया है जिनका नाम है आचार्य श्याम उपाध्याय (Acharya Shyam Upadhyay). संविधान की 8वीं अनुसूची के मुताबिक इसमें दर्ज 22 भाषाओं में संस्कृत सबसे कम बोली जाने वाली भाषा के रूप में दर्ज की गई है।         

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इन सबके बीच संस्कृत भाषा को लोगों के बीच फिर दोबारा जीवित करने का प्रयास वाराणसी के एक वकील (Acharya Shyam Upadhyay) द्वारा किया जा रहा है और वो भी पिछले कई दशकों से। आपने देखा होगा कि पूरे देश के वकील या तो अंग्रेजी में मुकदमा लड़ते हैं या फिर हिंदी में, लेकिन पिछले 44 सालों से आचार्य श्याम उपाध्याय (Acharya Shyam Upadhyay) संस्कृत भाषा में ही मुकदमें लड़ रहे हैं और साथ ही पूरी कागजी कार्यवाई भी वह संस्कृत भाषा में ही करते हैं।

आचार्य श्याम उपाध्याय (Acharya Shyam Upadhyay) पत्र लिखने से लेकर कोर्ट में बहस करने तक सभी कुछ संस्कृत भाषा में ही करते हैं। दरअसल आचार्य श्याम उपाध्याय (Acharya Shyam Upadhyay) का संस्कृत भाषा से एक अलग लगाव है, बचपन में जब आचार्य श्याम उपाध्याय (Acharya Shyam Upadhyay) 7वीं कक्षा में पढ़ते थे तो उन्होंने उस दौरान ये ठान लिया था कि वह बड़े होकर वकील ही बनेंगे और न्यायालय में वह केस लड़ने के दौरान संस्कृत भाषा का ही प्रयोग करेंगे।

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पूरे भारत में ऐसा कोई वकील नहीं हुआ जो अदालत में संस्कृत में बसह करे, ये केवल आचार्य श्याम उपाध्याय (Acharya Shyam Upadhyay) ही है जो आज भी संस्कृत भाषा में ही लिखते है और बहस भी करते हैं। शुरुआत में जब आचार्य श्याम उपाध्याय (Acharya Shyam Upadhyay) द्वारा उनके मुवक्किल के कागजातों को जज के सामने पेश किया गया तो जज भी हैरान रह गए।

ये सभी कागज संस्कृत भाषा में लिखे गए थे। इसके बाद जब कोर्ट में कोई भी नया जज आता तो वो भी पहली बार संस्कृत भाषा में पेश किए गए कागजातों को देख हैरान रह जाता। वहीं उनके मुवक्किल भी संस्कृत भाषा में लिखे गए कागजातों को देख हैरान रह जाते हैं लेकिन आचार्य श्याम उपाध्याय (Acharya Shyam Upadhyay) उन्हें बड़े ही तरीके से संस्कृत भाषा समझाते हैं।

वकील आचार्य श्याम उपाध्याय (Acharya Shyam Upadhyay) जब कोर्ट आते हैं तो वह काले रंग का कोर्ट पहने होते हैं, साथ ही उनके माथे पर त्रिपुंड और तिलक लगा रहता है जो साफ तौर पर उनके संस्कृत भाषा को लेकर भावनाओं को दर्शाता है।   

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