यहां पांच पक्की छानियां और दो गोदाम जंगल की आग से राख

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बागेश्वर /देहरादून, ब्यूरो। उत्तराखंड में जंगल की आग विकराल होती जा रही है। कुछ और दिनों तक अगर बारिश नहीं आई तो करोड़ों रुपये की कीमती वन सम्पदा के साथ जंगली जानवर आग में तबाह हो जाएंगे। जंगल की आग अब इंसानी बस्तियों की ओर भी रुख कर रही है। उत्तराखंड के बागेश्वर जनपद में बरसात में रहने के लिए बनाए गई 5 पक्की छानियों और दो गोदाम में आग लगने से सामान जलकर कर राख हो गया। उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल और कुमाऊं मंडल दोनों ही क्षेत्रों के जंगल लगातार धू-धू कर जल रहे हैं। फायर सीजन शुरू होने के बाद सैकड़ों हैक्टेयर वन भूमि और वन सम्पदा के साथ ही जंगली जानवर जलकर राख हो गए हैं। जानवरों के साथ इंसान भी जंगल की आग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित हो रहे हैं। चारों ओर धुआं ही धुआं है। वन विभाग के कई डिविजन बिना डीएफओ के बगैर ही संचालित किए जा रहे हैं।

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कई नेशनल पार्क में तक प्रभारी निदेशक के तौर पर तैनाती दी गई है। कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ-साथ प्लानिंग की कमी से भी वनों की आग विकराल होती जा रही है। दूसरी ओर विकराल रूप लेती जंगल की आग से नैनीताल, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, बागेश्वर आदि जनपदों में अलग-अलग जगहों में भी जंगल तबाह हो रहे हैं। बागेश्वर में जंगल की आग की चपेट में आने से कपकोट ब्लॉक के नामतीचेटाबगड़ में बरसात में रहने के लिए बनाए गई पक्की छानियों और दो गोदाम में आग से सारा सामान जलकर राख हो गया। गनीमत यह रही कि इस दौरान इन मकानों में कोई भी नहीं रह रहा था।

उत्तराखंड में कुछ दिन पहले चम्पावत डीएम आवास के पास भी आग पहुंच गई थी। कई जिला मुख्यालयों के आमने-सामने के जंगल लगातार धू-धू कर जल रहे हैं। पिछले साल केंद्र सरकार के सहयोग से हेलीकाॅप्टर तक आग बुझाने के लिए तैनात किए गए थे। इस बार ऐसी कोई प्लानिंग नहीं देखी जा रही है। वन विभाग फिलहाल मौसम के भरोसे है। कहीं न कहीं जंगल की आग से रोज भारी नुकसान हो रहा है। जानवर अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे हैं। इंसानों के पक्के घर भी जलकर राख हो रहे हैं। अगर बारिश हुई तो कहीं न कहीं जंगल की आग पर थोड़ा ब्रेक लग सकता है।