प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र थराली से तैनाती के बावजूद भी गायब हैं डॉक्टर साहिबा।

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एक ओर जहां सरकार आमजन के बेहतर स्वास्थ्य और सहूलियत के लिए डॉक्टरों को पहाड़ चढ़ाने की कोशिश कर रही है वहीं कुछ चिकित्सक ऐसे भी हैं जो तनख्वाह तो पहाड़ो के तैनाती स्थल से ले रहे हैं लेकिन पहाड़ चढ़ने को तैयार नहीं हैं।
एक ऐसा ही मामला सामने आया है थराली विधानसभा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ढाडरबगड़ से जहां तैनात महिला चिकित्सक डॉ शिल्पी पिछले लंबे समय से अस्पताल से गायब हैं और अस्पताल आयुष विंग के एक फार्मासिस्ट के भरोसे चल रहा है। हैरान करने वाली बात ये भी है कि इस अस्पताल में आयुष विंग के ये फार्मासिस्ट भी सप्ताह में केवल तीन दिन ही सेवा दे पाते हैं और बाकी तीन दिन अस्पताल में ताला जड़ा हुआ होता है जिससे ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। इस अस्पताल में तैनात महिला चिकित्सक अपनी तनख्वाह तो पहाड़ से ले रही हैं लेकिन अस्पताल में मरीजों के इलाज के लिए उपलब्ध नहीं हो पाती हैं। ग्रामीणों के मुताबिक डॉ शिल्पी की तैनाती एक वर्ष पूर्व यहां हुई थी लेकिन एक भी दिन वे अस्पताल में मरीजो के इलाज के लिए मौजूद नहीं रही वहीं यहां तैनात आयुष विंग के फार्मासिस्ट मुकेश नोटियाल ने भी ग्रामीणों के इस आरोप की पुष्टि करते हुए कहा कि तैनाती के बाद से अभी तक भी उनके कार्यदिवस पर एक भी दिन महिला चिकित्सक ड्यूटी पर मौजूद नहीं रही। अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब महिला चिकित्सक अस्पताल ही नहीं पहुंची तो उनकी हाजिरी उपस्थिति रजिस्टर में किसने दर्ज की। अंदेशा इस बात का भी जताया जा रहा है कि महिला चिकित्सक एक बार मे ही पिछली सारी अनुपस्थिति को उपस्थिति में तब्दील कर देती हो। हालांकि यहां तैनात फार्मासिस्ट के मुताबिक डॉ शिल्पी पिछले माह की 13 तारीख से अस्पताल से नदारद हैं और उपस्थिति रजिस्टर में उनकी हाजिरी पिछले महीने की 22 तारीख को आखिरी बार भरी गयी है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर पहाड़ो में बिना डॉक्टरों के ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं कैसे मुहैया हो पायेगी और बगैर काम किये पूरी तनख्वाह लेने वाले ऐसे डाक्टरों पर अब स्वास्थ्य विभाग क्या कार्यवाही करेगा। हालांकि डॉ शिल्पी ने टेलीफोन पर इन आरोपो पर सफाई देते हुए कहा कि विभाग उन्हें अटैचमेंट पर बार बार अलग अलग स्वास्थ्य केंद्रों में भेज देता है। जिसके चलते वे अपने मूल तैनाती स्थान पर उपस्थित नहीं हो पाती हैं। उन्होंने ग्रामीणों के आरोपो को सिरे से खारिज किया है।
ग्रामीणों के आरोपो की पड़ताल करने के लिए शुक्रवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थराली से भी जांच टीम गयी थी लेकिन जांच टीम भी मीडिया के सम्मुख बयान देने से अपना बचाव ही कर रही है।
फिलहाल ग्रामीण परेशान हैं, हताश हैं और कई बार स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री पोर्टल तक शिकायत कर चुके हैं। लेकिन न तो डॉक्टर साहिबा ड्यूटी पर आने को तैयार हैं और न ही विभाग ऐसे डॉक्टरों पर कोई कार्यवाही करने को तैयार हैं।