/ Sep 17, 2024
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यह त्रिलोकीनाथ और माता पार्वती की लाडली बेटी है। इनके दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। इस जगह पर अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए श्रद्धालु पेड़ की शाखा में शुद्ध धागा बांधते है। जब वह मनोकामना पूर्ण हो जाती है, तब श्रद्धालु यहां दोबारा आकर उन धागे को खोलते हैं।
जब भगवान शिव और माता पार्वती मानसरोवर झील में जल क्रीड़ा कर रहे थे। तब दोनों के तेज इकट्ठा होकर कमल के पत्ते पर जमा हो गया था। तब उनकी संरक्षण के लिए वहां मौजूद सर्पिणियों ने इस तेज को अपनी कुंडली में लपेट दिया था। महादेव और जगदंबा के तेज से जिस कन्या का जन्म हुआ वह मनसा देवी माता का रूप है।
दूसरी मान्यता के अनूसार जब भगवान शिव शंकर एक सुंदर योगी का रूप धारण करके पृथ्वी पर विचर रहे थे, तब उनका सुंदर रूप देखकर कपड़ा धो रही एक गांव की महिला उन पर मोहित हो गई और उन्हें अपने वश में करने के लिए भगवान शिव के ही बनाएं वशीकरण मंत्र का उपयोग करने लगी। तब शिव शंकर अपने बनाएं हुए तंत्र की मांग को रखने के लिए वह उस स्त्री के वशीकरण पाश में बंध गए। तब इन दोनों के संबंध से जो कन्या उत्पन्न हुई वह मनसा देवी के नाम से प्रसिद्ध है।
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