सदियों से कायम रही हमारी पौराणिक संस्कृति को नयी पीढि भूलने लगी है जिससे हमारी संस्कृति अपनी पहचान धीमे धीमे खोती जा रही है ऐसे में अब इसके संरक्षण के लिये कई तरह के महोत्सवों का आयोजन किया जा रहा है जिससे संस्कृति की खोयी पहचान को एक बार फिर से वापस लाया जाये।
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